भूख - प्रा.रोहिणी डावरे
अकोले,महाराष्ट्र
जब होती है पेट में भूख
तन को कैसे मिलेगा सुख
भूख मनुज को रूलाती है
भूख संवेदना जगाती है।१।
तन की भूख मिट जाती है
मन की भूख मिटाए कौन
अपनीही रोटी सेंकनेवाले को
दो वक्त की रोटी होती गौण।२।
भोजन बिना भजन नहीं
संत कह गए बात खरी
सारा सच मन की तृप्ति बिना
कैसे मिलेंगे तुम्हें हरी?।३।
मेहनत की रोटी कमानेवाला
निंद चैन की सोता है
अरमान ऊँचे रखनेवाला
अमन-चैन को खोता है।४।
नसीब नां होता जिन्हें मकान
शरीर ढँकने को नां मिले परिधान
धरती गद्दी,चादर आसमान
मानो रूठ गए भगवान।५।
बडी पार्टियाँ और दिखावा भारी
ठूँस ठूँसकर भोजन जारी
बरबाद कर देते कितना अनाज
पहने है सिर पर झूठा ताज।६।
माँ भारती का मंत्र ले लो जान
अन्न पूर्णब्रह्म देवता समान
मातृभूमि का सदा रहे स्मरण
पाश्चात्यों का नां कर अंधानुकरण।७।
सच है मेरा भारत महान
जरूरतमंद को दे दे दान
सारा सच करें कदर सबकी
दुवाएँ मिलती रहेंगी रब की।८।
मन्नत माँगूँ एक ही रब को
थोडा ही सही मगर दे दे सबको
एक ईश्वर की सब है सन्तान
एक-दूजे का करें सम्मान।९।
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