मीठा बोलो - यश, कीर्ति व सम्मान के पात्र बनो - डॉ बी आर नलवाया
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मनुष्य जीवन में ही मीठी वाणी का या मीठे बोलने के वचन का महत्व सर्वविदित है। हम मीठा बोलकर और शुभ वचनों से ही किसी भी मनुष्य को प्रभावित कर सकते हैं ।जो व्यक्ति शुभ व मीठा बोलते हैं, वे अनावश्यक विवादों से बचे रहते हैं। मनुष्य या व्यक्ति से ही आशा कि जाती है ,कि वह मीठा बोलकर अपनी वाणी को संयमित करे, क्योंकि अन्य प्राणी में बोलने का भगवान ने अवसर नहीं दिया। जो भी व्यक्ति मीठा व शुभ बोलते है, वह शत्रु को भी मित्र बनाने का सामर्थ्य रखते हैं। जो व्यक्ति कठोर बोलते है ,मीठा बोलने की आदत ही नहीं पढ़ी या उनकी अशुभ वचन बोलने की आदत है, वे अपने मित्रों' को भी शुत्र बना लेते हैं। जिस प्रकार कौआ अपनी अशुभ व कठोर वाणी के कारण अप्रिय लगता है, लेकिन कोयल रंग रूप में कौए के समान होने पर भी वह कौए से श्रेष्ठ मानी जाती है ,क्योंकि वह मीठा बोलती है। हमें जीवन में कौआ बनना है, या मीठा बोलना है, यह निर्णय तो व्यक्ति स्वयं ही कर सकता । महर्षि तुलसीदासजी ने भी मीठा बोलने की महता बताई, हम उसे समझने का प्रयास करें। मीठी वाणी सदैव शहद के समान लगती है और कड़वी वाणी के वचन जहर के समान, इसलिए जीवन में सदैव शुभ बोले, मीठा बोले । मीठे वचन बोलते है, यह सदैव सम्मान और यश, कीर्ति, प्रशंसा के भागीदार बनते हैं।
डॉ बी आर नलवाया मंदसौर
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