सत्संग - डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
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सत्संग करें हम, शांति मिलेगी।
विचार हमारे शुद्ध होंगे, नई उर्जा मिलेगी।
संतो का संग होगा, सकारात्मकता बढ़ेगी।
आत्मा की शुद्धि होगी,
सोच बदलेगी।
व्यक्तित्व का विकास होगा,
अज्ञानता का नाश होगा।
मन पवित्र होगा, ईश से जुड़ाव होगा।
जिंदगी को देखने का नजरिया बदलता है।
सत्संग करने से, अहंकार लालच सब मिटता है।
तन में स्फूर्ति आती, निर्णय हम सही लेते।
परनिंदा नहीं करते, जीवन का आनंद लेते।
मन भक्तिमय होता, नहीं होता उदास।
मधुर वचन हम बोलते, होता हमारा सम्पूर्ण विकास।
अच्छी बातें हम सीखते, औरों को सिखलाते।
अपना दुख भूल हम, औरों की खुशियों में खुशियाँ मनाते।
नवचेतना का संचार होता, नीरसता रहती दूर।
मोह-माया से दूर रहते, खुशियाँ मिलती भरपूर।
तन मन शुद्ध होता, तनाव से मिलता राहत।
आत्मबल हमें मिलता, नहीं करते हम किसी को आहत।
मन में श्रद्धा बढ़े, ईश्वर की कृपा मिले।
वातावरण शुद्ध
हो, तन मन रहे खिले खिले।
भावनात्मक पक्ष होता मजबूत,
जीवन में रहता उमंग।
सीख जाते हम, सही जीवन जीने का ढंग।
सत्संग से मन पावन होता,
सत्संग का कोई जवाब नहीं।
दुख से हम घबराते नहीं, बुरे भाव मन में आते नहीं।
जीवन में आगे बढ़ना हो तो, सत्संग करें जरूर।
आध्यात्मिक पक्ष मजबूत होगा, नहीं रहेंगे हम मजबूर।
डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
स्वरचित
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