कुम्भ - डॉ० अशोक
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मां की दुआओं से,
निकली हुई आवाज में घुली हुई प्यार और प्रेम में,
सही कुम्भ स्नान है।
इसकी महत्ता को देखते हुए,
सब कहते हैं कि,
यही हकीकत है,
यही सही दौलत है,
सही मुकाम पर पहुंचाने वाली ताकत है,
यही पवित्र स्नान है।
सबकी अपनी अपनी दुनिया है,
मेरी जिंदगी में,
मां ही दुनिया है,
मां ही मंदिर है,
मां ही शाही स्नान है।
इसकी वजह से ही,
हिम्मत है,
आन-बान और शान है।
मां ही जन्नत है,
सबसे खूबसूरत उपहार है,
खुशियां भरपूर मिले,
यही हकीकत है,
मां को यही स्वीकार है।
मां की दुआओं से,
निकली हुई आवाज में,
सारा जग संसार है।
उन्नति और प्रगति से भरपूर,
सब संसार है।
हमें आनन्द और प्रसन्नता से,
हंसी होंठों पे रख कर,
उम्मीद बनाएं रखने में मदद करने वाली ताकत है,
इसकी वजह से ही,
दुनिया में हम-सब मुस्कुराते हुए रहते हैं,
इसकी वजह से ही,
इसकी सोहबत रखनी चाहिए,
यही कारण है कि सब लोग अक्सर सोचते और कहते हैं कि,
मां ही जन्नत है,
मां ही मंदिर है,
मां ही दुनिया में,
सबसे खूबसूरत इबादत है।
डॉ० अशोक,पटना,बिहार
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