बेटी है, तो कल है, पुण्य पावन पल है ।
करो संरक्षण इनका,तेरा जन्म सफल है।
पायल की रुन झुन सी,होती है बेटियाँ ।
घर आँगन का सुख चैन होती है बेटियाँ ।
घर का "मान" और सम्मान" है बेटियाँ ।
उलझी हुई जिन्दगी मै विराम है बेटियाँ ।
संयम शालीनता की, मिशाल है बेटियाँ ।
ज्ञान अृजन मे,गार्गी के समान है बेटियाँ ।
बेटियाँ ईश्वर का अमूल्य,उपहार होती है ।
धैर्य के साथ, संयम की मिसाल होती है ।
कन्या और प्रकृति, इस जीवन की धुरी है।
जन्म और पोषण ही,अस्तित्व की कड़ी है।
कन्या के साथ प्रकृति को,संरक्षित कर लो..दानवों ।
समस्या मै समाधान की कड़ी को सहेज लो मानवों ।
माँ बहन बेटिया जग मै, उत्पत्ति का आधार होती है ।
भुमिका कैसी भी दे देना, धीरता का प्रकार होती है ।
बेटियों के बिना कल्पना, कैसें करोंगे इस जहाँन की ।
अस्तित्व ढूड़ नही पाओगें,परिकल्पना मे विज्ञान की ।
मकान को घर बनाने वाली, उस भूमिका को नमन ।
सृष्टि संचालिका के साथ,ब्रह्माण्ड वर्धिनी को नमन ।
माँ की ममता के साथ, बहन के दुलार को नमन ।
पत्नी के आगोश मे मिलने..वाले प्यार को नमन ।
काश हर सुबह.....दुर्गा नवमी होती !
कन्याभोज करानें की सरगर्मी होती !
क्यों आती है, ये असहाय सी नजर..
दहेज नाम की ये बलिवेदी न होती ?
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स्वरचित.......
डाॅ. योगेश सिंह धाकरे "चातक"
(ओज कवि )आलिराजपुर म.
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