Saturday, 15 March 2025

बेटियाँ ही सृष्टि का आधार है - डाॅ. योगेश सिंह धाकरे "चातक"



 बेटी  है, तो कल है, पुण्य पावन पल है ।

करो संरक्षण इनका,तेरा जन्म सफल है।

पायल की रुन झुन सी,होती है बेटियाँ ।
घर आँगन का सुख चैन होती है बेटियाँ ।

घर  का "मान" और सम्मान" है बेटियाँ ।
उलझी हुई जिन्दगी मै विराम है बेटियाँ ।

संयम शालीनता की, मिशाल है बेटियाँ ।
ज्ञान अृजन मे,गार्गी के समान है बेटियाँ ।

बेटियाँ ईश्वर का अमूल्य,उपहार होती है ।
धैर्य के साथ, संयम की मिसाल होती है ।

कन्या और प्रकृति, इस जीवन की धुरी है।
जन्म और पोषण ही,अस्तित्व की कड़ी है।

कन्या के साथ प्रकृति को,संरक्षित कर लो..दानवों ।
समस्या मै समाधान की कड़ी को सहेज लो मानवों ।

माँ बहन बेटिया जग मै, उत्पत्ति का आधार होती है ।
भुमिका कैसी भी दे देना, धीरता का प्रकार होती है ।

बेटियों के बिना कल्पना, कैसें करोंगे इस जहाँन की ।
अस्तित्व ढूड़ नही पाओगें,परिकल्पना मे विज्ञान की ।

मकान को घर बनाने वाली, उस भूमिका को नमन ।
सृष्टि संचालिका के साथ,ब्रह्माण्ड वर्धिनी को नमन ।

माँ की ममता के साथ, बहन के दुलार को नमन ।
पत्नी के आगोश मे मिलने..वाले प्यार को नमन ।

काश हर सुबह.....दुर्गा नवमी होती !
कन्याभोज करानें की सरगर्मी होती !
क्यों आती है, ये असहाय सी नजर..
दहेज नाम की ये बलिवेदी न होती ?

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स्वरचित.......
डाॅ. योगेश सिंह धाकरे "चातक"
(ओज कवि )आलिराजपुर म.

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