आज के इस युग में नारी शक्ति के नेतृत्व में विकास की नई-नई गाथाएं लिखी जा रही है। इस विकास में पिता का रोल बेहद अहम माना जा सकता है क्योंकि जिन परिवारों में पिता अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं और प्रेरित करते हैं, उन घरों की बेटियां बुलंदियों को छुती है। कुछ बेटियों की जिंदगी में आज भी अनेकों पाबंदिया लगाई जाती है इन पाबंदियों से सभी वाकिफ़ भी है लेकिन जिन बेटियों की जिंदगी में बेवजह की पाबंदिया नहीं होती है उन घरों की बेटियां आजाद ख्यालों की होती है जिससे वे आगे बढ़ने में सफल भी होती है। वर्तमान में बेटियों या महिलाओं के लिए कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। महिलाएं आगे बढे, इसके लिए भारत सरकार ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं भी चला रखी है।
यदि देखा जाए तो 1930 में पहली बार भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में महिला साक्षरता में 10.5 फ़ीसदी की बढ़त आई एवं आज महिला साक्षरता 75 फ़ीसदी के लगभग पहुंच गई है। महिलाओं के बढ़ते कदमों को देखे तो 33 देशो में महिलाएं राष्ट्राध्यक्ष रही है, वही स्वीडन की संसद में 45 फ़ीसदी महिलाएं है। विश्व के 1826 अरबपतियों में 200 से अधिक महिलाएं है। इसराइल दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां सेना में महिलाओं को भी लिया गया था। महिला उद्यमियों की ओर देखा जाए तो भारत सरकार ने देश की 75 श्रेष्ठ स्टार्टअप कंपनियों में नवाचार करने वाली महिलाओं को चयनित किया है। विगत वर्षों में स्टार्टअप इंडिया योजना के तहत महिला उद्यमियों को 10 लाख से 1 करोड रुपए तक के ऋण की मंजूरी दी गई है। कौशल विकास योजना में लगभग 375 उद्यमियो में से करीब आधी महिलाएं ही है। वर्तमान में महिला उद्यमी देश के विकास में उल्लेखनीय सहयोग कर रही है। इनके आत्मा बल का दुनिया में अन्य पुरुष लोहा ले रहे हैं। देखा गया है दुनिया के कई उद्यमी महिलाओं उद्यमियों के कार्यों का अनुसरण भी करते हुए देखा गया।
इस समय जहां महिलाओं की दुनिया बदल रही है वही उनके सामने कुछ चुनौतियां भी खड़ी है। जहां महिलाएं खुदमुख्तार बनने के लिए घर से बाहर निकल रही है वहीं उनकी सुरक्षा उनके परिवार और पूरे समाज के लिए एक चुनौती बनती जा रही है। दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं यह बहुत ही चिंता का विषय हैl
डॉ. बी. आर. नलवाया
मंदसौर
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