Thursday, 27 March 2025

गंगा नदी - डाॅ0 उषा पाण्डेय

 


गंगा नदी - डाॅ0 उषा पाण्डेय 

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गंगा नदी है पावन,
निर्मल है धार।
गंगा माँ, आपको नमन 
मैं करती बारम्बार।
गंगा नदी का उद्गम गंगोत्री, 
भागीरथी भी कहलाती हैं
अपने भक्तों को माँ आप,
सुख और शांति देती हैं।
माँ, अपने भक्तों का।
कल्याण आप सदा ही करतीं।
वह भूमि उपजाऊ होती 
आप जहाँ से गुजरतीं।
मोक्षदायिनी हैं गंगाजल,
करतीं पापियों का उद्धार।
गंगा मईया आपको नमन,
मैं करती बारम्बार 

पावन आपका जल है माँ, 
आप अविरल बहती रहती हैं।
शिव जी की जटा में माँ,
आप निवास करती हैं।
इस धरा पर आकर माँ,
राष्ट्रीय नदी कहलाती हैं।
जाह्नवी, मंदाकिनी आदि
कई नामों से जानी जाती हैं।
आपकी पूजा करें माँ,
 हम सपरिवार।
गंगा माँ,  आपको नमन 
मैं करती बारम्बार 

आपकी महिमा हम, शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते।
आपकी गरिमा का
हम बखान नहीं कर सकते।
पर, हमारे ही कारण माँ
आप प्रदूषित हो रहीं
हम मानव ही के कारण ही
माँ, आप गंदी हो रहीं।
अपनी गलती को अब
 हम हैं मानने को तैयार।
गंगा मांँ, आपको नमन 
मैं करती बारम्बार 

हम सब को माफ करें माँ,
हम यह प्रण लेते हैं।
अब न कभी गंदा डालेंगे
हम वचन देते हैं
आपके सौन्दर्यीकरण पर माँ अब हम देंगे ध्यान।
आपको हम सब साफ करेंगे,
रखेंगे हम आपका मान।
अपनी कृपा बनाये रखें,
दें हमें खुशियाँ अपार।
गंगा माँ, आपको नमन मैं
करती बारम्बार 

गंगा नदी, है पावन
निर्मल है धार।
गंगा माँ, आपको नमन 
मैं करती बारम्बार

डाॅ0 उषा पाण्डेय 
स्वरचित

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