Saturday, 15 March 2025

महिला दिवस - अनन्तराम चौबे अनन्त

 महिला दिवस 


मान करो सम्मान करो
महिलाओं का गुणगान करो 
महिला दिवस खुशी से मनाओ

महिला का गौरव गान करो ।

महिला भी तो एक नारी है
अबला नही कोई नारी है ।
नारी के रूप अनेक है पर
महिला एक सुंदर नारी  है ।

मां बहिन बेटी के रूप में
सास और बहू के रूप में ।
पत्नी का भी नारी का रूप है
नारी है ऐसे ही अनेक रूप में ।

सीता के रूप में महिला है
शक्ति पार्वती रूप में नारी है ।
सारा सच सरस्वती भी नारी है
लक्ष्मी के रूप में नारी है ।

लक्ष्मी बाई भी महिला थी
दुर्गावती भी महिला ही थी ।
अहिल्याबाई भी नारी थी
सारा सच महिलाएं नारी थी ।

स्वर्ग में सुन्दर अप्सराएं भी
महिला सुन्दर नारी ही है ।
बड़े बड़े ऋषियों मुनियों की
तपस्या भी भंग कराई है ।

 मां शक्ति है मां दुर्गा है
मां ही हर घर परिवार में है ।
महिला के रूप में नारी है
एक सशक्त नारी हर द्वार में है ।

आज के समय में हर नारी
पुरूषों से कंधा मिलाकर चलती।
पुलिस, सेना या राजनीति हो
हर जगह नारी सहभागी रहती ।

सहनशीलता नारी की देखो
बेटी, बहू बनकर ससुराल जाती ।
नया माहौल नये लोगों के साथ
कुछ ही दिनों में घुल मिल जाती ।

एक अंजान पति के साथ में
जीवन भर साथ निभाती है ।
सुख दुख में साथ निभा करके
बच्चों की भी मां बन जाती है ।

पुरुष भी महिला बिन अधूरा है 
महिला पुरुष के बिना अधूरी है 
बच्चों के बिना हर महिला की
मां की ममता भी अधूरी है ।

जिस घर में महिला न हो
वो घर भी सूना लगता है ।
जिस घर में मां ममता ने हो
वो घर भी अधूरा लगता है 

मां तो जगत की जननी है
जगत की वो पालन हारी है ।
नारी है वो नारायणी है
महिला है अद्भुत नारी  है ।

    अनन्तराम चौबे अनन्त
     जबलपुर म प्र 

महिला दिवस - डॉ अशोक

 


नारी सम्मान की यही,
खुशमिजाज पहल पर हमें आन बान और शान है।
नारी सम्मान की बातें ही,
महिला दिवस का औचित्य है,
हम कह सकते हैं कि,
इसकी वजह से ही हमें मातृशक्ति पर अभिमान है।

सारा सच की पवित्र ध्येय को,
सलाम करनी चाहिए यहां।
महिला दिवस में प्रार्थी बनकर,
हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश सदैव करनी चाहिए यहां।

महिला दिवस नारी सशक्तिकरण का,
सबसे खूबसूरत उपहार है।
यज्ञोपवीत को साकार करने में,
हम सबके सामने बड़ी चुनौतियां हैं,
बस सारी चुनौतियां हमेशा स्वीकार है।

यही तपस्या है,
यही आभार है।
महिला दिवस नारी सम्मान का,
सबसे खूबसूरत आभार है।

मन को तसल्ली देने वाली ताकत बनकर,
सारा सच एक इतिहास रचने में व्यस्त है।
इसकी वजह से ही,
हम कह सकते हैं कि इस अभियान में,
नारी सम्मान की हरेक कोशिश तंदुरुस्त है।

साहित्य और संस्कृति को,
सारा सच की बेजोड़ धार में,
बहने लगी है।
खुशियां सजाई गई है,
नारी जीवन को सुखद अहसास दिलाने की,
होड़ लगी हुई है।

सत्य चक्र में सारा सच है,
इसकी अहमियत को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है,
यही जिंदगी है,
यही अटूट विश्वास है,
यही बंदगी है।
नया इतिहास रचने वाले लोगों को,
सारा सच की बेजोड़ धार पर,
हमेशा अमल करना चाहिए यहां।
सही हकीकत से रूबरू कराने में,
इसकी कोशिश लगातार बढ़ती जा रही है यहां। 

डॉ ०अशोक,पटना,

8 मार्च- महिलाओं के आत्मबल एवं नेतृत्व की शक्ति को जागृत करने का दिवस - डॉ. बी. आर. नलवाया



आज के इस युग  में नारी शक्ति के नेतृत्व में विकास की नई-नई गाथाएं लिखी जा रही है। इस विकास में पिता का रोल बेहद अहम माना जा सकता है क्योंकि जिन परिवारों में पिता अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं और प्रेरित करते हैं, उन घरों की बेटियां बुलंदियों को छुती है। कुछ बेटियों की जिंदगी में आज भी अनेकों पाबंदिया लगाई जाती है इन पाबंदियों से सभी वाकिफ़ भी है लेकिन जिन बेटियों की जिंदगी में बेवजह की पाबंदिया नहीं होती है उन घरों की बेटियां आजाद ख्यालों की होती है जिससे वे आगे बढ़ने में सफल भी होती है। वर्तमान में बेटियों या महिलाओं के लिए कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। महिलाएं आगे बढे, इसके लिए भारत सरकार ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं भी चला रखी है।

यदि देखा जाए तो 1930 में पहली बार भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में महिला साक्षरता में 10.5 फ़ीसदी की बढ़त आई एवं आज महिला साक्षरता 75 फ़ीसदी के लगभग पहुंच गई है। महिलाओं के बढ़ते कदमों को देखे तो 33 देशो में महिलाएं राष्ट्राध्यक्ष रही है, वही स्वीडन की संसद में 45 फ़ीसदी महिलाएं है। विश्व के 1826 अरबपतियों में 200 से अधिक महिलाएं है। इसराइल दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां सेना में महिलाओं को भी लिया गया था। महिला उद्यमियों की ओर देखा जाए तो भारत सरकार ने देश की 75 श्रेष्ठ स्टार्टअप कंपनियों में नवाचार करने वाली महिलाओं को चयनित किया है। विगत वर्षों में स्टार्टअप इंडिया योजना के तहत महिला उद्यमियों को 10 लाख से 1 करोड रुपए तक के ऋण की मंजूरी दी गई है। कौशल विकास योजना में लगभग 375 उद्यमियो में से करीब आधी महिलाएं ही है। वर्तमान में महिला उद्यमी देश के विकास में उल्लेखनीय सहयोग कर रही है। इनके आत्मा बल का दुनिया में अन्य पुरुष लोहा ले रहे हैं। देखा गया है दुनिया के कई उद्यमी महिलाओं उद्यमियों  के कार्यों का अनुसरण भी करते हुए देखा गया। 
इस समय जहां महिलाओं की दुनिया बदल रही है वही उनके सामने कुछ चुनौतियां भी खड़ी है। जहां महिलाएं खुदमुख्तार बनने के लिए घर से बाहर निकल रही है वहीं उनकी सुरक्षा उनके परिवार और पूरे समाज के लिए एक चुनौती बनती जा रही है। दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं यह बहुत ही चिंता का विषय हैl

डॉ. बी. आर. नलवाया
मंदसौर

नारी स्वयंसिद्धा हो तुम - गोरक्ष जाधव



नारी स्वयंसिद्धा हो तुम,


तुम शक्ति हो जीवन की,
चेतना,स्फूर्ति हर तन की,
अद्भुत है तेरी माया
संजीविनी हो मन-मन की।

नारी स्वयंसिद्धा हो तुम...

जगत जननी महामाया,
हर दृश्य की हो काया,
तुम निरंतर परिवर्तित रूप हो
परमपुरुष की हो तुम छाया।

नारी स्वयंसिद्धा हो तुम...

हर सजीव की संवेदना हो,
हर संघर्ष की प्रेरणा हो,
उसके बगैर कल्पना नहीं जीवन की,
तुम हर जीत की उत्तेजना हो।

नारी स्वयंसिद्धा हो तुम...

साहस हो,ओज हो,
हर कला की खोज हो ,
जीवन सरिता में उठती,
सुख-दुख की मौज हो।

नारी स्वयंसिद्धा हो तुम....

तुम शक्ति ही , तुम भक्ति हो,
शिव की अनन्य अभिव्यक्ति हो,
तुम काल की भी हो महाकाल,
जीवन संघर्ष की मुक्ति हो।

नारी स्वयंसिद्धा हो तुम,
शक्ति हो अभिव्यक्ति हो तुम।

गोरक्ष जाधव©®
मंगलवेढा, महाराष्ट्र

महिला दिवस - सागर सिंह भूरिया,



महिला दिवस प्रतिवर्ष महिलाओं द्वारा कीये गये देश और समाज के प्रति संघर्ष और योगदान तथा उनकी शानदार उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए तथा उनकी आर्थिक अवस्था को सुधारने के लिए बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। महिलाएं हमारे परिवार की एक रीढ़ की हड्डी हैं।  इनके बिना परिवार और समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

        ये भी सच है कि महिलाओं के बारे में जितना भी लिखा जाये उतना ही कम है। महिलाओं में वो शक्ति है जो ढेरों दुःख सह लेती है। महलों का सुख त्याग कर एक झोंपड़ी में भी रह लेती है। मां सीता बनकर चौदह साल वन में गूजारती है। कभी पार्वती बनकर शिवजी के संग कैलाश पर्वत में वास करे। दुर्गा, महाकाली चण्डी का रूप धारण कर राक्षसों का विनाश करे।
         आज हमें इस बात का गर्व है कि हमारे भारत की महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है तथा अपने भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर रही है।
       ये भी सच है कि कुछ राज्यों में अभी भी हमारी बहुत सारी महिलाएं आर्थिक और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ी हुई है, जिनका जीवन स्तर सुधारने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है। यदि हम एक महिला को शिक्षित करते हैं तो वह आगे दो परिवारों का सुधार करती है। इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना समाज के लिए बहुत आवश्यक है।

                       सागर सिंह भूरिया,
                       बैजनाथ, कांगड़ा, (हिमाचल प्रदेश)

आदि शक्ति - डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'



आदिशक्ति कहलाती माता,  दुष्टों का करती संहार। 

शरण तुम्हारे जो भी आता, करती उसका माँ उद्धार।
माता तुम तो जग जननी हो, भक्तों के सर रखना हाथ।
हरेक पल तुम मात भवानी,
रहना अपने भक्तों के  साथ।
अंधकार तुम हरती माता, राक्षसों का करती नाश।
जिस पर कृपा तुम्हारी होती, नहीं होता वह कभी निराश।
जगदंबा, परमेश्वरी, 
महिषासुर मर्दिनी कहलाती। 
सच की जीत सदा होती है,
माँ तुम यही बतलाती।
अथाह शक्ति से भरी हो माता, देवता भी तुम्हारी पूजा करते। 
सर्वोच्च स्थान तुम्हारा जग में, त्रिशूल चक्र तुम्हारे कर में सजते।
हम महिलाओं में माता तुम, 
शक्ति का संचार करो। 
सच की राह पर हम चले,
सकारात्मकता हममें भरो।
बहु को हम लक्ष्मी माने, 
करे हम उससे सद्व्यवहार।
इतनी शक्ति देना माता, 
नहीं करें हम अहंकार।
रक्षा करो सदा हम सब की, 
सबका माता दुख हरो।
हम सब खुशहाल रहें,
सुविचार मन में भरो।
आदिशक्ति की भक्ति करें हम, पुष्प तुम्हें अर्पण करें। 
चोला चुनरी तुम्हें चढ़ावें, 
हिय में तुम्हारा ध्यान धरें।

डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
स्वरचित

नारी - सिंपल भावना



 ऐ नारी यकीनन तूने आधुनिक युग मे बहुत कुछ पाया है 

अपनी आंतरिक दुर्बलता को दूर कर खुद को स्वावलंबी और शक्ति शाली भी बनाया है 

न जाने कितने संघर्षो को स्वीकार कर तूने अपनी मंजिलो को पाया है 
तुझे देख कर हर कोई यही कहता है कि इस अबला नारी मे इतनी हिम्मत  और साहस कहा से आया है 

पर पुरूष अपने अहंकार मे ये भूल जाता है कि इसी नारी ने ही उसे ये संसार दिखाया है 
कभी मां बनकर कभी बहन बनकर तो कभी हमसफ़र बन कर नारी ने नर का साथ निभाया है 

नारी के बिना तो इस सृष्टि की कल्पना भी नही की जा सकती 
ये संदेश तो स्वयं भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर बनकर समझाया है 

SimpleBhawna ✍️🙏
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बेटियाँ ही सृष्टि का आधार है - डाॅ. योगेश सिंह धाकरे "चातक"



 बेटी  है, तो कल है, पुण्य पावन पल है ।

करो संरक्षण इनका,तेरा जन्म सफल है।

पायल की रुन झुन सी,होती है बेटियाँ ।
घर आँगन का सुख चैन होती है बेटियाँ ।

घर  का "मान" और सम्मान" है बेटियाँ ।
उलझी हुई जिन्दगी मै विराम है बेटियाँ ।

संयम शालीनता की, मिशाल है बेटियाँ ।
ज्ञान अृजन मे,गार्गी के समान है बेटियाँ ।

बेटियाँ ईश्वर का अमूल्य,उपहार होती है ।
धैर्य के साथ, संयम की मिसाल होती है ।

कन्या और प्रकृति, इस जीवन की धुरी है।
जन्म और पोषण ही,अस्तित्व की कड़ी है।

कन्या के साथ प्रकृति को,संरक्षित कर लो..दानवों ।
समस्या मै समाधान की कड़ी को सहेज लो मानवों ।

माँ बहन बेटिया जग मै, उत्पत्ति का आधार होती है ।
भुमिका कैसी भी दे देना, धीरता का प्रकार होती है ।

बेटियों के बिना कल्पना, कैसें करोंगे इस जहाँन की ।
अस्तित्व ढूड़ नही पाओगें,परिकल्पना मे विज्ञान की ।

मकान को घर बनाने वाली, उस भूमिका को नमन ।
सृष्टि संचालिका के साथ,ब्रह्माण्ड वर्धिनी को नमन ।

माँ की ममता के साथ, बहन के दुलार को नमन ।
पत्नी के आगोश मे मिलने..वाले प्यार को नमन ।

काश हर सुबह.....दुर्गा नवमी होती !
कन्याभोज करानें की सरगर्मी होती !
क्यों आती है, ये असहाय सी नजर..
दहेज नाम की ये बलिवेदी न होती ?

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स्वरचित.......
डाॅ. योगेश सिंह धाकरे "चातक"
(ओज कवि )आलिराजपुर म.