सुनामी
देख सुन कर दिल होता आहत,
जलामय जलामय हो रहे घर द्वार।
कहर ईश का है भारी ,
कर रहे हैं भीषण प्रहार।।
एक दूजे का छूटा साथ,
बिछड़ गए घर परिवार।
कहीं मां बाप बच्चों से,
कहीं बच्चे कर रहे हाहाकार।।
बरस गया कहर विनाश का,
मातम छाया संसार में।
मिट गया नामोनिशान,
मची तबाही संसार में।।
प्रकृति से भी छेड़खानी ही,
परेशान है कुदरत की मार से।
फैला है तांडव प्रलय का,
गरीब अमीर हो रहे जर्जर से।।
लहर भरती उछाल
सुनामी का अंदेशा देती है।
मर जाते अनेकों जीव जंतु
संकट के बादल घेर लेती है।।
सारा सच है कितने घर होते तबाह,
मंदिर मस्जिद सुने सुने।
घर अंगना में मचता क्रंदन,
उपवन हो जाते बिहूने।।
@पदमा तिवारी दमोह मध्य प्रदेश
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