प्रेम करो ऐसा
प्रेम करो ऐसा की,
शबरी को राम मिले ।
प्रेम करो ऐसा की,
मीरा को घनश्याम मिले ।
प्रेम करो ऐसा की,
भरत को भगवान की भक्ति मिले ।
प्रेम करो ऐसा की,
लक्ष्मण जैसा भाई सबको मिले ।
प्रेम करो ऐसा की,
राधा को कृष्णा मिले ।
प्रेम करो ऐसा की,
माता सीता को राम मिले ।
प्रेम करो ऐसा की,
घर में सुख शांति मिले ।
प्रेम करो ऐसा की,
हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिले ।
सारा सच के कहने से ही,
आपस में अब प्रेम बड़े ।
सारा सच के कहने से,
साहित्य धारा प्रेम बड़े ।
रचना का शीर्षक-
*प्रेम करो ऐसा*
रचना पूर्ण रूप से मौलिक है सत्य एवं प्रमाणित है
कवि सुरेंद्र कुमार जोशी
जिला -देवास /मध्य प्रदेश
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