Wednesday, 14 February 2024

जाओ हे धरती के पुत्र - दिवाकर पाण्डेय 'विभाकर'


 

जाओ हे धरती के पुत्र

नव वधू ने उतार दिया 
अपने गले का मंगलसूत्र
वचनों से मुक्त कर दिया
जाओ हे धरती के पुत्र।

माथे का सिन्दूर पोछकर
भर लिया मिट्टी से माँग
चाह नहीं मुझे कुछ बस
बचा रहे भारत की आन
जाओ है धरती के पुत्र।

तुम वीर हो तुम धीर हो
मेरी चिंता मत करना
चीरना दुश्मनों का सीना
रण से पीछे मत हटना
जाओ हे धरती के पुत्र। 

कटा देना अपना शीश 
तिरंगा नहीं झुकने देना
माँ के सीने पर दुश्मन के
कदम नहीं पड़ने देना
जाओ हे धरती के पुत्र।

बम,गोले, बारूद लहू संग
तुम जाकर होली खेलना
आवश्यकता पड़ी तो अपनी
प्राणों की आहुति दे देना
जाओ हे धरती के पुत्र।

मैं जिलूँगी वीर पति की
विधवा बनकर के सदा
लेकिन मेरे विस्वास पर तुम 
कोई कलंक नहीं लगने देना
जाओ हे धरती के पुत्र।

नाम -दिवाकर पाण्डेय 'विभाकर'
जन्म स्थान-सारण(बिहार)

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