प्राण प्रतिष्ठा
पौष, शुक्ल, द्वादशी,
दिन है सोमवार।
राम लला मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का,
हम सबको है बेसब्री से इंतजार।
प्रात प्रतिष्ठा है एक धार्मिक अनुष्ठान।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही, बिराजते हैं भगवान।
बाईस जनवरी, दो हजार चौबीस, इतिहास में अमर होगा।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद, रघुवर जी का दर्शन भक्तों को होगा।
यह कार्यक्रम होता है बड़ा ही अनूठा।
प्रभु राम के बाल स्वरूप का होगा प्राण प्रतिष्ठा।
मंत्रों द्वारा प्रभु का होगा आवाहन।
वह पल होगा अद्भुत, असाधारण।
हम भाग्यशाली हैं, इस ऐतिहासिक पल के साक्षी हम होंगे।
सोलह जनवरी से ही
प्राण प्रतिष्ठा हेतु कार्यक्रम प्रारंभ होंगे।
प्रभु राम विराजेंगे,
भक्त भजन सुनायेंगे।
सुख शांति आयेंगी,
सबके भाग जागेंगे।
प्राण प्रतिष्ठा हेतु
कई राज्यों से आ रहे बड़े बड़े उपहार।
भक्त जन भी पहुँच रहे हैं, प्रभु राम के दरबार।
लम्बे समय बाद, आई यह बेला पावन।
अयोध्या नगरी सजी
दुल्हन सी, लगती यह मनभावन।
प्रभु राम ने ऐसे काम किए, मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये।
सत्य के मार्ग पर चले, आदर्श पुरुष वे
कहलाये।
देवताओं की सहायता की, राक्षसों
का संहार किया।
सबरी के बेर खाए, अहिल्या का उद्धार किया।
ऐसे प्रभु का प्राण प्रतिष्ठा,
सारा भारत राम मय
हो रहा।
राम भजनों, राम गीतों
से, देश है गूँज रहा।
रघुकुल नंदन के गुणों को, हम भी जीवन में अपनाए।
राघव जी से कुछ सीखें, अपना जीवन हम सफल बनाएं।
डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
वैस्ट बंगाल
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