दुर्घटना
दुर्घटना है दु: घटना, कभी कह कर नहीं आती।
दुर्घटना की बात सोचते ही,
रुह है कांप जाती।
दुर्घटना प्राकृतिक होती हैं, या मानव द्वारा।
हर दुर्घटना में मानव
कष्ट पाता ढेर सारा।
दुर्घटना कभी औरों की गलती से भी है होती।
चाहे जिसकी भी गलती हो,
दुख के सागर में डुबोती।
सड़क पर यदि वाहन चलाएं, कुछ बातों का रखें ध्यान।
परिवहन का नियम जानें, दें उनपर ध्यान।
सड़क पर जब भी पैदल चलें, फूटपाथ पर चलें।
सड़क जब भी पार करें,
जे़बरा क्रॉसिंग से ही करें।
कोई भी वाहन हो,
प्रदूषण की जाँच करवाते रहें।
प्रदूषण का दुष्प्रभाव सबको बताते रहें।
घर से निकलने से पहले गैस करें चेक।
वाहन सड़क पर जब चलाएं, कभी न करें ओवर टेक।
हेलमेट जरूर पहने, जब दोपहिया चलाएं।
पीछे बैठने वाले को भी हेलमेट पहनाएं।
हेलमेट को कभी बोझ न समझें, हेलमेट जान बचाता है।
सिर में चोट नहीं लगती, दंड से बचाता है।
दवाइयों को रखें सदा ही,
बच्चों की पहुँच से दूर।
यातायात के नियम, बच्चों
को बताएं जरूर।
समय समय पर जाँच करवाएं
बिजली के तार।
नहीं कभी खुला रहे, कोई बिजली का तार।
बुजुर्गों का ध्यान रखें, हो
न जायें ये दुर्घटना का शिकार।
घर में पर्याप्त रोशनी रखें, कहीं नहीं हो अंधकार।
बाथरूम सुखा रहे,
रखना है ध्यान।
सड़क यदि गीली हो,
गाड़ी चलाने में रहें सावधान।
दुर्घटना यदि घटे किसी के साथ, मदद
को हाथ बढ़ाना है।
प्राथमिक चिकित्सा कर अस्पताल ले जाना है।
अपनी गाड़ी से यदि दुर्घटना हो, भागें न कहीं दूर।
केस होगा आप पर, बुरे फसेंगे आप हुजूर।
डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
No comments:
Post a Comment