Wednesday, 3 January 2024

नया साल - पं० जुगल किशोर त्रिपाठी

नया साल

साल पुराना बीत गया है,
नया साल अब आयेगा।
वैर-भाव सब मन से भूलें,
फिर सबका मन गायेगा।।

प्रेम-भाव उर में रखकर के,
सच्ची मानवता अपनायें।
पतित न हों हम मानवता से,
इससे हम ऊपर उठ जायें।।

जो उठता ऊपर को उसमें,
दिव्य-भाव आ जाता है।
जो मानवता को तजता है,
वह नर-पशु ही कहलाता है।।

जीवन सबका सुखमय बीते,
यही कामना मेरी है।
सबकी रहे निरोगी काया,
तन बने राख की ढ़ेरी है।।

कुछ ऐसा जग में कर जाओ,
नाम तुम्हारा हो जाये।
जग में उजयारा तुमसे हो,
जग तेरा नित गुण गाये।।

आने वाले नया साल की,
सबको मेरी बधाई हो!
हिल-मिल सब उर प्रेमपूर्ण हों,
मेरे बहन अरु भाई हो!!

नया साल सुख से यों बीते,
जैसे ऋतुएँ आ-जातीं।
ऐसे बहे सुखद जीवन ज्यों,
सुरसरि बह जाती-आती।।

जीवन का अमरत्व इसी में,
है पुरुषार्थ इसी में नर का।
करुणा और प्रेम फैलायें,
हो नव साल सुखद सबका।।

नर-नारी सब प्रेमपूर्ण हों,
इक-दूजे का सहयोग करें।
दया और मैत्री फैलायें,
तरू ज्यों शीतल छाँव करें।।

सब हों सुखी, निरोगी, पूरित,
हों धन से, समृद्धि बढ़े।
परोपकारी बन न्याय-नीति से,
चल, आपस में नहीं लड़ें।।

*रचना-*
पं० जुगल किशोर त्रिपाठी (साहित्यकार)
पता- ग्राम व पोस्ट- बम्हौरी
ब्लाॅक एवं तहसील- मऊरानीपुर

जनपद- झाँसी (उ०प्र०) 

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