हिंदू नववर्ष
चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष
मनाया जाता।
विक्रम संवत कैलेंडर को इसका आधार
माना जाता।
हिंदू नववर्ष, हिंदू नव संवत्सर, नया संवत भी कहलाता।
हिंदू नववर्ष से ही नए वर्ष का आरंभ माना जाता।
कहते हैं इस दिन ही ब्रम्हा जी ने सृष्टि रचा, हुआ सृष्टि
प्रारंभ।
विक्रम संवत का इस दिन से हुआ आरंभ।
कहीं यह उगादि, कहीं गुड़ी पड़वा कहा जाता।
भारत वर्ष में यह सोल्लास मनाया जाता।
अपनी परम्परा के अनुसार सभी नव वर्ष मनाते हैं।
घर पर हम स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ इस दिन से आरंभ होता।
नव वर्ष हमें सदा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता।
नव वर्ष के दिन हम स्नान कर पूजा करते।
ईश्वर ने हमें जो दिया है, हम उनका धन्यवाद करते।
साफ सफाई करते इस दिन, बड़ों का लेते आशीर्वाद।
प्रेम से हम सबसे मिलते, नहीं करते कोई विवाद।
नव वर्ष का हम उत्साह से स्वागत करते हैं।
पुरानी शिकायतें भुला, सबसे गले मिलते हैं।
मन में उमंग लिए, दिल में उत्साह लिए,
नव वर्ष का हम अभिवादन करते हैं।
नव वर्ष में सब सुखी रहे, यही कामना करते हैं।
नव वर्ष की चाह हमारी, अब मैं बतलाती हूँ।
मेरी इच्छाएँ पूरी हो, ईश्वर से मनाती हूँ।
खुशियाँ मिले सभी को, स्वस्थ्य रहे हर कोई।
इज्जत मिले सभी को, भूख से मरे न कोई।
परिवार पास हो,
पूरी सबकी आस हो।
स्वर्णिम भविष्य हो, ईश में विश्वास हो।
लक्ष्य अपना हम पायें,
हम सब आगे बढ़े।
सकारात्मक हम रहें,
सफलता की सीढ़ी चढ़े।
बच्चों को संस्कार मिले, नफरत दूर हो।
लालच हमसे दूर रहे,
हम न मजबूर हों।
हमारा ख्याल रखना सदा प्रभु।
भटके हुए राही को,
सही राह दिखाना विभु।
डा० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
वैस्ट बंगाल
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