राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी की साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय..... धर्म
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता ... धर्म
धर्म कर्म जो करता रहता है
ईश्वर से जो जुड़ा रहता है ।
गृहस्थ जीवन को जीकर भी
जीवन अपना सफल बनाता है ।
ईश्वर की नित पूजा करना
समय मिले ध्यान लगाना ।
मनुष्य का तन मिला है तो
पूजा भक्ति भी करते रहना।
शिव शंकर ब्रह्मा विष्णु
श्रीराम कृष्ण और गणेश ।
बजरंगबली का नाम लेते ही
कट जाते हैं सभी क्लेश ।
सुखमय जीवन जीना है
तो परोपकार भी करना है ।
जिसकी जैसी सामर्थ हो
परोपकार भी, वैसा करना है ।
पूजा तो पुण्य का काम है
पुण्य का फल मीठा मिलता है ।
आज नहीं तो कल मिलता है
जीवन भी सुख मय रहता है ।
धर्म कर्म जो करता रहता है
फल भी वैसा ही मिलता है ।
परोपकार करने वाला ही
सबकी दुआएं पाता रहता है ।
माता पिता की सेवा करना
कभी दुखी न उनको रखना ।
माता पिता की सच्ची सेवा ही
ईश्वर की जैसे है पूजा करना है ।
सच्ची राह किसी को दिखाना
सारा सच पुण्य का काम होता है ।
छोटा छोटा श्रम दान करो तो
वो भी परोपकार ही होता है ।
प्यासे को पानी पिला दो
भूखे को दो रोटी खिला दो ।
पक्षियों को दाना खिला दो
ईश्वर की पूजा जैसा होता है ।
गाय रोटी रोज खिलाएं
गाय का दूध सभी पीते हैं ।
सारा सच मां के बाद बच्चों
को गाय का दूध पिलाते हैं ।
सारा सच मरने के बाद
गाय हमारा साथ देती हैं ।
स्वर्ग के रास्ते में भी हमको
बैतरणी नदी पार कराती हैं ।
पूजा, भक्ति ,धर्म कर्म भी
जीवन में करते रहना है ।
सारा सच है मोक्ष मिलेगा
जीवन जो सार्थक करना है ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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