Friday, 19 January 2024

धर्म - अनन्तराम चौबे अनन्त

 


राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी की साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय..... धर्म

नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र 
कविता ... धर्म  

धर्म कर्म जो करता रहता है
ईश्वर से जो जुड़ा रहता है ।
गृहस्थ जीवन को जीकर भी
जीवन अपना सफल बनाता है ।

ईश्वर की नित पूजा करना
समय मिले ध्यान लगाना ।
मनुष्य का तन मिला है तो
पूजा भक्ति भी करते रहना।

शिव शंकर ब्रह्मा विष्णु
श्रीराम कृष्ण और गणेश ।
बजरंगबली का नाम लेते ही
कट जाते हैं सभी क्लेश  ।

सुखमय जीवन जीना है
तो परोपकार भी करना है ।
जिसकी जैसी सामर्थ हो
परोपकार भी, वैसा करना है ।

पूजा तो पुण्य का काम है
पुण्य का फल मीठा मिलता है ।
आज नहीं तो कल मिलता है
जीवन भी सुख मय रहता है ।

धर्म कर्म जो करता रहता है
फल भी वैसा ही मिलता है ।
परोपकार करने वाला ही
सबकी दुआएं पाता रहता है ।

माता पिता की सेवा करना
कभी दुखी न उनको रखना ।
माता पिता की सच्ची सेवा ही
ईश्वर की जैसे है पूजा करना है ।

सच्ची राह किसी को दिखाना
सारा सच पुण्य का काम होता है ।
छोटा छोटा श्रम दान करो तो
वो भी परोपकार ही होता है ।

प्यासे को पानी पिला दो
भूखे को दो रोटी खिला दो ।
पक्षियों को दाना खिला दो
ईश्वर की पूजा जैसा  होता है ।

गाय रोटी रोज खिलाएं
गाय का दूध सभी पीते हैं ।
सारा सच मां के बाद बच्चों
को गाय का दूध पिलाते हैं ।

सारा सच  मरने के बाद
गाय हमारा साथ देती हैं ।
स्वर्ग के रास्ते में भी हमको
बैतरणी नदी पार कराती हैं ।

पूजा, भक्ति ,धर्म कर्म भी
जीवन में करते रहना है ।
सारा सच है मोक्ष मिलेगा 
जीवन जो सार्थक करना है ।

  अनन्तराम चौबे अनन्त
  जबलपुर म प्र

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