Friday, 26 January 2024

प्रतिमा - डॉ० अशोक

 

प्रतिमा

इसे देव प्रतिमा कहें या,
सद्भाव से समागम अनुकृति।
सबमें अपनत्व और प्यार से,
इसमें दिखता है एक अद्भुत अनुभूति।
यही वजह है कि,
यह सुन्दर और स्नेहिल भाव में,
सराबोर हो गया लगता है।
आत्ममंथन करेंगी जनजन तक,
प्रतिमा के स्वरूप को दिल से,
आत्मसात कर खुशियां लेकर,
मनोभाव को स्पष्टता देने में,
सदैव प्रतिमा का स्वरूप,
दुनिया भर में हमेशा अव्वल रहता है।
 प्रतिमा का अनन्त सौन्दर्य,
एक खूबसूरत अन्दाज है।
यही वजह है कि स्थापित प्रतिमा से ही,
मन में अत्यंत सुकून देने वाली,
निकलतीं प्यारी आवाज है।
यह मूर्ति को स्थापित करने का,
उमंग से सराबोर सुखद संग्राम है।
आनंदित रहने वाले समस्त जनजन तक,
खुशियां की देता अंजाम है। 
यह अहसास दिलाता है,
मन में सुकून देने में आगे रहता है।
यह आस्था और विश्वास है,
समग्र रूप में ख्याति प्राप्त,
 अनमोल जीवन का एक आभास है।

डॉ० अशोक, पटना, बिहार

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