जश्न
हर्ष या हों आनन्द,
जश्न में डूबा हुआ रहता है सानन्द।
जश्न मनाया जाता है,
जब मेहनत से कुछ,
कामयाबी से रूबरू होते हुए,
प्रसन्नता और हास्य व्यंग में,
खुशियां समेटने में,
इसके रंग को सलाम किया जाता है।
सारा सच है तो उसे,
खुशियां नसीब होती है।
अमृत संदेश को,
जनजन तक पहुंचाती है।
यह ज्ञान दर्शन करने वाली ताकतों को,
एकजुट होकर रहने का,
सम्पूर्ण संस्कार है।
खुशियां लेकर आता है जब दिन,
यह लगता है मानो,
जश्न को मनाने में,
मिल जाता उपहार है।
सारा सच एक उचित,
और उन्नत व्यवहार है।
आज़ जश्न में डूबा हुआ,
दिखता है खूब संसार यहां।
खूब होती है सम्मान इस जश्न में,
यही कारण है कि,
सबमें अपनत्व ,विवेक व विश्वास से,
भरपूर कोशिश करतीं हैं,
जश्न का खूबसूरत संसार यहां।
डॉ ०अशोक,पटना,बिहार
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