Friday, 26 January 2024

चलो एक मुहिम चलाएं - मोहम्मद जावेद खान

 


चलो एक मुहिम चलाएं

देश को भ्रष्टाचार एवं
 कचरा मुक्त बनाए ।
व्यर्थ ही सम्मान दिया,
व्यर्थ ही दिया प्यार,
खुद को हीरा समझ बैठा
एक कचरे का ठेकेदार।
कैसा यह नसीब, सही कहा गया है इज्जत देना ऊपर वाले के हाथ में,जब आपको दूर से हूटर,या सायरन की आवाज़ आए तो आप क्या समझेंगे,एक पल के लिए आप यह सोचेंगे किसी नेता की गाड़ी आ रही है,या पुलिस या एंबुलेंस की गाड़ी आपके पास से गुज़रने वाली है ।
भाई साहब आज तो हद हो गई, मेरे कानों में सायरन की आवाज़ आई तो,मैंने गाड़ी को साइड में लगाकर रोक दी,मुझे लगा कोई बड़ा नेता गुज़रने वाला हैं, मैंने सोचा चलो बहुत दिन हो गए नेताओं को सड़कों पर देखे हुए, चुनाव गुज़र गए,सरकार बन गई, कुछ नेताओं के दिल टूट गए, किसी के हत्थे चांदी आई, कोई मंत्री बना, तो किसी के पास निराशा आई, मैंने सोचा चलो आज नेताजी के दर्शन उनकी चमचमाती गाड़ी में हो जाएंगे ।
एक बदबू के झोंके ने मेरा भरम तोड़ा मेरे पास से नगर निगम की कचरे की गाड़ी सायरन बजाते हुए गुज़र गई,गाड़ी में पड़ा कचरा मुझे मुंह चिढ़ा रहा था, और ज़ोर-ज़ोर से कह रहा था क्यों भैया कैसी रही,तुम ही मुझे सुबह नाक पर कपड़ा बांधकर इसी गाड़ी में डालकर भाग जाते हो मेरी तरफ पलट कर भी नहीं देखते हो,आज मेरे लिए अपनी गाड़ी को साइड में लगाकर मेरे आने का इंतजार कर रहे हो, तो किसी ने ठीक कहा है इज्जत जिसको मिलती है उसे कोई रोक नहीं सकता । सायरन बजाते हुए कचरे की गाड़ी को देखकर मेरे मन में यह विचार आया यही आपका भ्रम है,दुनिया की चकाचौंध से हम बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं, गाड़ियों के सायरन की आवाज़ को सुनकर हम बड़े सम्मान से एक तरफ खड़े होकर इंतजार करते हैं,हमारे नेता जी अपनी चमचमाती हुई गाड़ी से गुज़रने वाले हैं, जब गाड़ी गुज़र जाती है,तो पता चलता है इस गाड़ी में कचरा जा रहा है,कचरा भी वो,जो भ्रष्टाचार से दूषित, कुर्सी के लिए कुछ भी करने को तैयार,पुराने साथियों को धोखा देकर राजनीति की रबड़ी को चाट चाट कर खाना, पौने पांच साल तक सुख विलास का जीवन व्यतीत करना, क्षेत्र की जनता को मुंह ना लगाना,चुनाव के ऐन वक्त पर फिर से क्षेत्र की जनता की याद आना,हाथ जोड़ जोड़कर माफी मांगना,झूठी कसमें खाना, चुनाव जीत कर भूल जाना ।
आप ही बताएं आप इनको नगर निगम की गाड़ी में रखा हुआ कचरा ही समझेंगे या ------- ।

🙏🙏🙏🙏🙏

मोहम्मद जावेद खान 
संपादक 
भोपाल

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