Friday, 26 January 2024

भगवान - डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'

 

भगवान

जब जब धर्म की हानि होती, लेते भगवान 
अवतार। 
सज्जनों का दुख मिटाते, दुष्टों का करते संहार। 
सृष्टि की रचना जिसने की, 
वे भगवान कहलाए। 
जो भी सच्चे दिल से पुकारा, 
दौड़े दौड़े प्रभु आए।
जो हैं कर्ता, जो हैं धर्ता, 
जो हैं पालनहार।
हैं भगवान सर्वशक्तिमान, 
पूजता उनको संसार। 
भक्तों की रक्षा हर पल जों करतें, 
वही हैं भगवान।
सही राह हमें दिखलातें, भगवान देते हमको ज्ञान।
कण-कण में वे व्याप्त हैं, महिमा उनकी अपरंपार। 
अपने भक्तों में भगवान,
करतें उर्जा का संचार।
कृपा जो उनकी हो जाए, छूट जाता माया जाल।
प्रभु की कृपा जिसपर होती, नहीं रहता वह बेहाल।
मर्यादा की रक्षा करतें,
पुरुषोत्तम हैं कहलाते।
दीन  बंधु, दीन दयाल, 
कितने नामों से जाने जाते। 
थी वह एक भीलनी, शबरी
उसका नाम। 
उसके बेर प्रभु ने खाए, लिया उसे निज धाम। 
त्रेता युग में राम बनकर, 
किया रावण का संहार। 
सत्य की ही जीत होती है, 
यही बताया है हर बार। 
अवढरदानी भगवान शिव 
की, 
महिमा जाने संसार।
झोली भरतें भक्तों की, 
आशीष की करतें बौछार। 
दु:शासन ने चीर खींचा, द्रोपदी ने लिया पुकार। 
भगवान कृष्ण ने लगा दिया, 
चीर का अंबार। 
हर युग में ही भगवान
ने, 
लिया है अवतार। 
जो भी उन्हें पुकारता, करते उसका बेड़ा पार। 
भक्तों की ईच्छा पूरी की, 
विदुर के घर खायें साग। 
जिस पर कृपा हुई प्रभु की, 
जागे उसके भाग। 
भगवान हैं सर्वज्ञ, हर पल हमें हैं देखते।
उनकी नजर में सभी बराबर, भेद वे कभी नहीं करतें।
हमारा भी कर्त्तव्य है, 
भगवान के पद चिन्हों
पर चलें। 
भाईचारा हम फैलायें, 
रिपुओं को लगायें गले। 

डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
वैस्ट बंगाल 

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