Friday, 12 January 2024

चक्का जाम - प्रा.गायकवाड विलास

 


सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना
*विषय:चक्का जाम
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**ये खिला हुआ वतन*
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   (छंदमुक्त काव्य रचना)

हुआ चक्का जाम और सभी रास्ते यहां पे थम गए,
न्याय मांगने के लिए ही वो लोग रास्तों पर उतर आए।
जरा सोच समझकर बनाओ तुम ये नए कानून,
उसी कानून से बेवजह ही ये सारा संसार ना बिखर जाएं।

सात साल की सजा और दस लाख का जुर्माना ये कैसा कानून है,
दुर्घटनाएं जान बुझकर कौन करें इस चलते रास्तों पर ।
गलतियां सभी से होती है इस संसार में,कौन उसी से दूर है,
मगर उसी गलतियों की सजा से किसी की जिंदगी ही बर्बाद ना हो जाए।

ये लोकतंत्र है,सभी को खुशहाल जीने दो इस संसार में,
कोई मजदूर,कोई गरीब,कोई किसान वो किसी के गुलाम नहीं है।
मत बनाओ ऐसे कानून जो किसी की जिंदगी उजाड़ दे,
जहां हक ही खत्म हो जाएं,फिर वो कैसा कानून है?

उन्नति के पथ पर चल रहा है ये सारा संसार फिर भी,
एक-दूसरे के सहयोग से ही ये सारा संसार यहां खिला है।
गर ऐसे ही हो जायेगा चक्का जाम,तो बढ़ जायेगी सभी की मुश्किलें,
तुम ही सोचो जरा,क्या ऐसी नीति इस लोकतंत्र के लिए ठीक है।

सरकारें आयेगी जायेगी फिर भी अखंड रखो ये लोकतंत्र हमारा,
लोकतंत्र के बिना इस जहां में,कोई भी वतन खुशहाल नहीं है।
रोटी,कपड़ा और मकान उसी में उलझी है सभी जिंदगियां यहां पर,
क्या अपनी खुशहाल जिंदगी के लिए लड़ना भी यहां बेबुनियाद है।

हुआ चक्का जाम और सभी रास्ते यहां पे थम गए,
न्याय मांगने के लिए ही,वो लोग रास्तों पर उतर आए।
लोकतंत्र और जनता के हित में हो यहां सभी नए कानून,
उसी कानून की वजह से ही ये खिला हुआ वतन कभी बिखर ना जाएं - - - कभी बिखर ना जाएं।

प्रा.गायकवाड विलास
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
       महाराष्ट्र

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