प्राण प्रतिष्ठा
अचल गगन है चल है धरती,
श्रीराम की है अपार महती,
अयोध्या में स्थापित होंगे,
सारे संसार के अधिपति।
उल्हासित है सब नर-नारी,
पेड़,पशु औऱ गदाधारी,
लाखों-लाखों दीप जलेंगे,
कण-कण में राम दिखेंगे।
जनक नगरी से आई सौगातें,
सियावर के गुण सब गातें,
हर्ष-उल्हास में भारतवर्ष है,
श्रीराम सारे जगत को भाते।
भव्य मंदिर हुआ है निर्मित,
रामलला अब होंगें स्थापित,
भव्य आयोजन सरयू तटपर,
रामचंद्र के चरणों पर अर्पित।
खत्म हुई है दीर्घ प्रतीक्षा,
रामभक्तों की हुई पूर्ण परीक्षा,
प्राण प्रतिष्ठा होगी अब तो,
रामराज्य की पूरी होगी मनीषा।
पुरुषोत्तम है प्रभु श्रीराम,
उनके चरणों पे है विश्राम,
सबका बेड़ा पार करें वो,
जो जपे जय श्रीराम, जय श्रीराम,
जय श्रीराम......
गोरक्ष जाधव
मंगलवेढा,महाराष्ट्र
No comments:
Post a Comment