राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय ...नेता
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता... नेता
सांसद और विधायक नेता
सत्ता पक्ष के जो होते हैं ।
न्यायपालिका को छोड़कर
सभी जगह राजनीति करते हैं ।
सरकार के सभी विभागों को
अपने ही अधीन समझते हैं ।
छुट भैया नेता धौंस दिखाकर
दखलनदाजी अपनी रखते है ।
सांसद और विधायक निधि भी
इन सभी की बंद होना चाहिए ।
इस मद के करोड़ों रुपयों को
खास मकसद को रखना चाहिए।
नेता बनते हैं राजनीति से
राजनीति अजब निराली है।
अंगूठा छाप एक नेता की भी
अपनी क्या शान निराली है ।
ज्यादातर अपराधी नेता
सांसद विधायक बनते हैं ।
चुनाव जीत कर सत्ता की
सारा सच कुर्सी पा जाते हैं ।
सत्ताधारी पार्टी के नेता
जो मंत्रियों के चमचे होते हैं ।
बड़े बड़े अफसरों की भी
सारा सच कुर्सी हिला देते हैं ।
राजनैतिक पार्टियां हमेशा
अपना उल्लू सीधा करती हैं ।
सत्ता की कुर्सी पाने चुनाव में
हर हथकंडे इसमें अपनाती है ।
देश में चुनाव में सभी पार्टियां
सत्ता की कुर्सी पाने लड़ती हैं ।
सारा सच है पूरा जोर लगाकर
चुनाव प्रचार पर जोर देती हैं ।
नेता चुनाव में भले लड़ते हैं
हार जीत भी होती रहती है ।
छींटा कसी आपस में करते
नेताओं की मजबूरी होती है ।
सत्ता में जो भी पार्टी आती है
अपने हिसाब से कानून बनाते हैं ।
सारा सच है नेता बनने में इनको
शिक्षा के मापदंड क्यों नहीं होते हैं ।
अनपढ़ भी सांसद विधायक हैं
मंत्री में शिक्षा का मापदंड नही है ।
शिक्षा से कोई अवरोध न आये
ऐसा कानून भी बनाते ही नही हैं ।
प्रदेश का चुनाव या देश का हो
राजनीति सब आपस में करते हैं ।
हाथ जोड़ कर बोट मांगते हैं
जाति धर्म की राजनीति करते हैं।
सांसद विधायक मंत्री बनने में
बी ए की शिक्षा होना जरूरी है ।
सारे सच की बात कहूं चुनाव में
उच्च शिक्षा का मापदंड जरूरी है ।
खानदानी राजनीति चलती है
पिता के बाद पुत्र नेता बनते है ।
कोई कोई तो पति-पत्नी पुत्र बहू
पूरा परिवार चुनाव में खड़े होते हैं।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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