हार
हार शब्द का अर्थ तो विभिन्न प्रकार के होते है परंतु हार शब्द का अर्थ को ज्यादातर लोग सम्मान या प्रतियोगिता में पराजय से जोड़ते है। आज के युग यानी २१वी शताब्दी के लोग जब किसी प्रतियोगिता में हार जाते है तो वे अपना सम्मान कम महसूस करते है, उन्हे ऐसा लगता है की लोग उसे असम्मान की नजर से देख रहे है।
इसलिए मैं प्रियांशु *"सारा सच"* के माध्यम से मैं हार पर अपनी विचार व्यक्त चाहती हूं और अपने शब्दों में सबको परिभाषा बताना चाहती हूं। हार और जीत ये दोनो परिणामों के दो अलग-अलग रूप है और परिणाम लोगो के हाथों में नही होता इसलिए हमे हार के भावना को त्याग कर अपने कार्यों को बेहतर बनाने की आवश्यकता होती है किसी भी हार को हमे उसी तरह स्वीकार करना चाहिए जैसे हम जीत को स्वीकार करते है।
मैं *"सारा सच"* के मंच पर कहना चाहूंगी की हार एक अवसर होता है किसी भी कार्य को और बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने का इसलिए हार से घबराने या डरने की जरूरत नही है। जीत का स्वाद भी तभी पता चलता है जब कोई हार का स्वाद चखा हो। मानव को जीत में न तो बहुत अधिक उत्साहित होना चाहिए और न हार के बाद हतोत्साहित, बल्कि हमेशा प्राकृतिक स्वभाव का ही रहना चाहिए क्योंकि प्राकृतिक स्वभाव ही जीवन का वास्तविक आनंद है।
-प्रियांशी
बिहार
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