Thursday, 7 December 2023

हार - प्रियांशी

 


हार

हार शब्द का अर्थ तो विभिन्न प्रकार के होते है परंतु हार शब्द का अर्थ को ज्यादातर लोग सम्मान या प्रतियोगिता में पराजय से जोड़ते है। आज के युग यानी २१वी शताब्दी के लोग जब किसी प्रतियोगिता में हार जाते है तो वे अपना सम्मान कम महसूस करते है, उन्हे ऐसा लगता है की लोग उसे असम्मान की नजर से देख रहे है।
इसलिए मैं प्रियांशु *"सारा सच"* के माध्यम से मैं हार पर अपनी विचार व्यक्त चाहती हूं और अपने शब्दों में सबको परिभाषा बताना चाहती हूं। हार और जीत ये दोनो परिणामों के दो अलग-अलग रूप है और परिणाम लोगो के हाथों में नही होता इसलिए हमे हार के भावना को त्याग कर अपने कार्यों को बेहतर बनाने की आवश्यकता  होती है किसी भी हार को हमे उसी तरह स्वीकार करना चाहिए जैसे हम जीत को स्वीकार करते है।
मैं *"सारा सच"* के मंच पर कहना चाहूंगी की हार एक अवसर होता है किसी भी कार्य को और बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने का इसलिए हार से घबराने या डरने की जरूरत नही है। जीत का स्वाद भी तभी पता चलता है जब कोई हार का स्वाद चखा हो। मानव को जीत में न तो बहुत अधिक उत्साहित होना चाहिए और न हार के बाद हतोत्साहित, बल्कि हमेशा प्राकृतिक स्वभाव का ही रहना चाहिए क्योंकि प्राकृतिक स्वभाव ही जीवन का  वास्तविक आनंद है।

-प्रियांशी
बिहार 

नेता - अनन्तराम चौबे अनन्त

 


राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय ...नेता
 
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता... नेता 

सांसद और विधायक नेता 
सत्ता पक्ष के जो होते हैं ।
न्यायपालिका को छोड़कर
सभी जगह राजनीति करते हैं ।

सरकार के सभी विभागों को
अपने ही अधीन समझते हैं ।
छुट भैया नेता धौंस दिखाकर 
दखलनदाजी अपनी रखते है ।

सांसद और विधायक निधि भी
इन सभी की बंद होना चाहिए ।
इस मद के करोड़ों रुपयों को
खास मकसद को रखना चाहिए।

नेता बनते हैं राजनीति से
राजनीति अजब निराली है।
अंगूठा छाप एक नेता की भी
अपनी क्या शान निराली है ।

ज्यादातर अपराधी नेता
सांसद विधायक बनते हैं ।
चुनाव जीत कर सत्ता की
सारा सच कुर्सी पा जाते हैं ।

सत्ताधारी पार्टी के नेता
जो मंत्रियों के चमचे होते हैं ।
बड़े बड़े अफसरों की भी
सारा सच कुर्सी हिला देते हैं ।

राजनैतिक पार्टियां हमेशा
अपना उल्लू सीधा करती हैं ।
सत्ता की कुर्सी पाने चुनाव में
हर हथकंडे इसमें अपनाती है ।

देश में चुनाव में सभी पार्टियां
सत्ता की कुर्सी पाने लड़ती हैं ।
सारा सच है पूरा जोर लगाकर
चुनाव प्रचार पर जोर देती  हैं ।

नेता चुनाव में भले लड़ते हैं
हार जीत भी होती रहती है ।
छींटा कसी आपस में करते
नेताओं की मजबूरी होती है ।

सत्ता में जो भी पार्टी आती है
अपने हिसाब से कानून बनाते हैं ।
सारा सच है नेता बनने में इनको
शिक्षा के मापदंड क्यों नहीं होते हैं ।

अनपढ़ भी सांसद विधायक हैं
मंत्री में शिक्षा का मापदंड नही है ।
शिक्षा से कोई अवरोध न आये
ऐसा कानून भी बनाते ही नही हैं ।

प्रदेश का चुनाव  या देश का हो
राजनीति सब आपस में करते हैं ।
हाथ जोड़ कर बोट मांगते हैं
जाति धर्म की राजनीति करते हैं।

सांसद विधायक मंत्री बनने में
बी ए की शिक्षा होना जरूरी है ।
सारे सच की बात कहूं चुनाव में
उच्च शिक्षा का मापदंड जरूरी है ।

खानदानी राजनीति चलती है
पिता के बाद पुत्र नेता बनते है ।
कोई कोई तो पति-पत्नी पुत्र बहू
पूरा परिवार चुनाव में खड़े होते हैं।

    अनन्तराम चौबे अनन्त
    जबलपुर म प्र

चुनाव - डॉ० अशोक

 


चुनाव

यह लोकतंत्र का उपहार है,
सर्वोत्तम व्यवहार है।
जनप्रतिनिधियों को चुनना,
इसके सात्विक संस्कार है,
इससे नहीं बड़ा यहां,
गणतंत्र में कोई दूसरा,
नहीं उत्तम पुरस्कार है।

यह एक सुखद अहसास है,
लोगों को देती विश्वास है
आगे बढ़ाने में मदद करने का,
सबसे खूबसूरत दुस्साहस है।
जनतंत्र में खुशहाली लाने का,
सर्वोत्तम आभास है।

सारा सच का यह उधम,
आज़ दुनिया स्वीकार कर रहा है।
जनजन तक यह सुखद अनुभव,
लोगों तक पहुंच गया है।

मजबूत तंत्रों को आभार है,
प्रजातंत्र में खुशहाली लाने का,
सबसे उत्तम प्यार है।
नवीन गाथाएं लिखा जाता है,
जन-जागरण का सन्देश यहां,
सम्बल तरीके से गूंथा जाता है।

यह एक नेक उपहार है,
सारा सच इस कारण से,
साहित्यिक विधा के क्षेत्र में,
सर्वत्र मन में स्वीकार्य है।

आगे बढ़ाने में चुनाव की,
गुंज रही है यहां सदा।
इसलिए लोगों को स्वीकार है,
गणतंत्र की जरूरत,
इस कारण सब लोग रहते हैं,
चुनाव के रंग में फिदा।

सारा सच का यह प्रयास व प्रयोग
जगह-जगह पर अवधृत है।
जनजन तक सुखद अहसास,
पहुंचाने में मदद करने में,
बनीं हुईं आज़ अवसित है।

डॉ ० अशोक,पटना,बिहार

हार - संजय वर्मा 'दॄष्टि'

 

 

हार

फसलों को निहारते 
मुस्कुराते किसान की
खुशियां हो जाती रफूचक्कर
जब हो अतिवृष्टि कहर  
प्राकृतिक आपदाओं का
सामना करता किसान
इनके आगे हार जाता
उसके सपने और उम्मीदों की
बोनी उड़ान से 
सपने बिखर जाते
उड़ान भरता
मरती फसलों को बचाने की
मगर उसकी बोनी उड़ान
हार से नहीं बचा सकती 
आपदाओं के आगे
उसकी उड़ान से
आर्थिकता के सूरज से 
पंख जल जो जाते
कर्ज की तेज आंधी
उसके जीवन की उड़ान को 
बोनी कर 
संघर्ष से हार कर
आपदाएं विपदा बढ़ा जाती।

संजय वर्मा 'दॄष्टि '
मनावर (धार  MP

लोकतांत्रिक - हेमलता ओझा

 


लोकतांत्रिक
#hamarivani #हमारीवाणी

हमारा एक लोकतांत्रिक देश है जिसमें से सभी को अपना नेताचूनने  का पूरा हक है मतदाताओं से बढे बढ़े वादे कर करके नेता  जीत हासिल कर लेता है और एक अच्छा उमीदवार हार जाता है फिर पांच साल उस भ्रष्ट नेता को हमारे मतदाता झेलते हैं इसी प्रक्रिया को सही करने केलिए चूनाव किया जाता है और मतदाताओं पर निर्भर करता है कि बढ़े बढ़े वादों भरी नेताओं की बातों पर ना जाकर अपने विवेक का इस्तेमाल करके इमानदार नेता को जीत हासिल कराये और बढे बढ़े वादे करने वाले नेता को करारी हार देंचूनाव प्रकिया हमारे देश की सर्वोच्चतम चूनाव शैली है जिसका पूरा परिणाम  मतदाता के मत पर आश्रित है हमें ये चाहीये कि गलत व भ्रष्टाचारी सत्ता को चूनाव परिणाम में करारी हार देकर सही नेता को देश की बागडोर सौंपने
नारी बढ़े बढ़े वादों और गलत तरिके से जीतने वाले नेता को सतता में लाकर चूनाव प्रणाली पर  कमेंट पास करायेऔर अपने बिचार  से हारजीत वादे नेता वादे को भूलाकर गलत को हराकर सही नेता को अपना वोट देअनयथा नहीं

हेमलता ओझा
 उत्तर प्रदेश

सत्ता - डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'

 


सत्ता

सत्ता एक शक्ति है, 
जो विधान सम्मत होती है। 
सत्ता औरो के काम को   
प्रभावित करती है।
सत्ता व्यक्ति को नही, पद को ही मिल पाती।
पद किसी और को मिलते ही,
सत्ता स्वयं हस्तांतरित हो जाती।
सत्ताधारी करता है अपने दायित्वों
का वहन।
वह देखता, उसके अधिनस्थ कोई भी नियमों का न करे उल्लंघन।
सत्ता से सम्ब॔धित है हर क्षेत्र।
चाहे वह परिवार हो, संस्था हो, देश हो या हो रणक्षेत्र।
सत्ता नीचे से उपर को जाता,
इसका होता आरोही आकार।
ज्यों ज्यों सत्ता उपर जाता, 
बढ़ता जाता सत्ताधारी का अधिकार।
सत्ताधारी अपने अधिकारों को
अच्छी तरह जानता।
कार्यक्रम को सफल बनाना है,  
यह  भी वह मानता।
सत्ताधारी को सकारात्मक
सोंच रखनी चाहिए। 
अपने से छोटे पद वाले से भी सलाह लेनी चाहिए। 
सत्ताधारी में प्रतिउत्पन्नमति
होनी चाहिए। 
सत्ताधारी को विपत्ति में धैर्य
नहीं खोना चाहिए। 
पर सत्ता पाकर कुछ मानव 
विवेक खो देते हैं। 
सही राह छोड़, गलत राह चुन लेते हैं। 
कुछ सत्ताधारी अपने पद का दुरूपयोग करते। 
सत्ता की आड़ में वे अपना
उल्लू सीधा करते। 
सत्ता का दुरूपयोग कर 
औरों से करते दुर्व्यवहार। 
अपनी झोली भरते हैं, 
करते औरों को लाचार। 
ऑफिस में बॉस अपने
अधिनस्थ कर्मचारी
को करता तंग। 
उन्हें परेशान ऐसे करता, देखने वाले रहते जाते दंग। 
कुछ नेता अपने पद का दुरूपयोग करते। 
औरों से ज्यादा अपना भला सोचते। 
सत्ता के दुरूपयोग का नकारात्मक प्रभाव है पड़ता। 
उत्पादन कम होता, माहौल है बिगड़ता। 
सत्ता का दुरूपयोग न हो, हमें कदम उठाना होगा। 
समाज में जागरण अभियान
चलाना होगा।

डॉ० उषा पाण्डेय 'शुभांगी'
स्वरचित