दुख ,सुख शीर्षक पर गीत
मन से मन में बीज लगन का बोना बहुत जरूरी है
प्रेम अगर है संवादों का होना बहुत जरूरी है
कुंठित मन होगा तो खुशियां हम फिर तनिक न पाएंगे
त्याग समर्पण से ही तो यह जीवन कुसुम खिलाएँगे
छोटे-छोटे "सुख-दुख' जब हम मिलजुल यहां पे बाटेंगे
मन में तब हम नेह भरे फूलों की महक बसाएंगे
रिश्तो की गागर को मन से ढ़ोना बहुत जरूरी है
प्रेम अगर है संवादों का होना बहुत जरूरी है
एक दूजे की पीड़ा को मन से जो पढ़े अगर हम तो
प्रेम भरी औषधि से मतभेदों को भरे अगर हम तो
खट्टी मीठी बातों से मीठे को चुने अगर हम तो
अंतर्मन से पावन संबंधों को गढॆं अगर हम तो
"दुख में सुख' में साथ चलें ये चलना बहुत ज़रूरी है...
प्रेम अगर है संवादों का ..
अलसाई सी आंखों से रातों को, जगे हुए रहना
अर्पण कर सर्वस्व कभी खुद-ब-खुद ठगे हुए रहना
निश्चित करके उस क्षण तुम सच्चाई से बंधे रहना
प्रेम नगर में विश्वासों के पीछे खड़े हुए रहना ..
छल को पथ से दूर करें जो टोना बहुत जरूरी है
प्रेम अगर है संवादों का होना बहुत जरूरी है .
मनीषा जोशी मनी
उत्तर प्रदेश
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