Wednesday, 8 November 2023

जनता - संजय वर्मा 'दॄष्टि '

 

















जनता 

जिंदगी जीने के लिए
संगत का असर देखा
संक्रमण  का उन्माद देखा
जो जनता से दूर रहा
जिंदगी को ज्यादा जिया
जिंदगी कोई खेल नहीं
जिसे संक्रमण की आग में 
झोंक दिया जाए
घर पर रहे 
परिवार का साथ
जो परिवार निर्भर है
घर के मुखिया पर 
जो सुखों ख़ुशियों के
सपने रोज निहारता
तनिक सोचिए तो जरा 
जनता के भीड़ भाड़ वाले
इलाकों में जाकर 
उन सपनों को टूटते देखना
अच्छी बात है ?
जिंदगी कोई खेल नहीं
उसे ऐसी दिशा में
क्यों ले जाया जाए
जनता के बीच
जहाँ संक्रमित होकर 
मौत का निवाला बनकर 
जहाँ जीवन सबका अंधकार बने।

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