Monday, 13 November 2023

चांदनी - संजय वर्मा "दृष्टि "

 























चांदनी
 
विरहता की टीस से 
उभर जाता है प्रेम ज्वार भाटे सा 
चाहत ,चकोर सी 
आकर्षण दे जाती चंद्रमा को। 

आँगन में चांदनी की छाया 
जब बादलों की ओट से 
कराती पल-पल इंतजार 
लगता है चंद्रमा के रुख पे 
डाल रखा हो बादलों ने नकाब।

सोचती हूँ 
अगर तुम आ जाओ 
तो लिपट जाऊ बेल की तरह 
और दिखा सकूँ 
प्रेम के मील पत्थर बने
ताजमहल को।

विरहता में
समझ सकों प्रेम का मतलब तो 
इंतजार के मायनों में 
तुम्हें चंद्रमा की चांदनी 
और भी उजली नजर आने लगेगी 
जब पास होंगे तुम मेरे।

संजय वर्मा "दृष्टि "
मनावर जिला -धार (म.प्र )

No comments:

Post a Comment