Wednesday, 1 November 2023

दशानन रावण - दिवाकर पाण्डेय "विभाकर"





















दशानन रावण
  
अहंकार का प्रतिरूप था
अन्तःहृदय से पावन
महाकाल का भक्त वो
त्रिलोक विजई रावण।

उठाया लिया था जिसने
उस पर्वतराज कैलाश को
कहा था प्रभु कृतार्थ करो
लंका चलके इस दास को।

वह खड्ग धारी दशानन
ने तांडव स्त्रोत रचडाला
सुन के क्षण में वर दे दिया
वो जोगिया मतवाला।

शिस झुकाते थे दसो
दिगपाल जिसके नाम से
इंद्र भी सहम जाया करते
थे उसके अनेकों काम से।

सोने की नगरी का राजा
ब्रम्हा से भी वर पाया था
सभी नक्षत्रों को अपने
उंगलियों पर नचाया था।

विश्वसर्वा का पुत्र वो
अपनी कीर्ति कर गया
जीवन की एक नई शिक्षा
मनुष्य के भीतर भर गया।

नाम-दिवाकर पाण्डेय "विभाकर"
पिता-श्री ओम नारायण पाण्डेय
माता -श्रीमती मुन्नी देवी
जन्म स्थान-बिहार


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