Wednesday, 8 November 2023

नेता - गोरक्ष जाधव

 























नेता

नेताओं के चुनावी झूठे वादे,
मन में उनके खूनी इरादे।

मीठे बोल,जहरीले झोल,
ध्यान वोटों पर, मिश्रि ओठों पर,
खुर्सी का इन्हें बड़ा लालच,
जनता की बिगड़ी हालत।

पंचवार्षिक चुनाव का आना, 
वही पुराना उनका  गाना,
मुफ्त बिजली,मुफ्त शिक्षा,
मुफ्त राशन, मुफ्त पानी,
नेताओं की अजब कहानी,

आता है जब चुनाव का मौसम,
खाते है माँ-बाप, भगवान की कसम,
देते महंगाई, गरीबी,रोजगार की हमी,
चुनाव के बाद इन्हें खा जाती हैं जमी।

कितने सारे करते है  बहाने,
खुद के  भरते लेते है खजाने,
ये करते है बेटी बचाने के नारे,
बेटियों को कैसे छोड़े इनके सहारे?

इनकी चेलों को एक ही दीक्षा,
मांगो वोटों की जनता से भिक्षा,
साम,दाम दंड भेद का अस्त्र चलाकर,
ले लो  जनता की परीक्षा।

मौका परस्त ये हैं दलबदलू,
गिरगिट की तरह रंगबदलू,
सत्ता के लिए हर करते तिकड़म,
सीधा करते ये अपना उल्लू।

फूलों के हार,मदिरा के ज्वार,
गरीबों से झूठ-मुठ का प्यार,
सत्ता में आते ही हो जाते है नौ दो ग्यारह,
जनता को बस ऊपरवाले का सहारा।

फिर वही लूट के पांच साल,
जनता के होते है बुरे हाल,
नेता बने मालामाल,
जनता फिर से होती कंगाल,

पांच साल बाद फिर झूठे वादें,
फिर इनके चुनावी खूनी इरदे।

मीठे बोल,जहरीले झोल,
ध्यान वोटों पर, मिश्रि ओठों पर,
खुर्सी का इन्हें बड़ा लालच,
जनता की बिगड़ी हालत।

गोरक्ष जाधव©®
मंगलवेढा, महाराष्ट्र

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