रावणों को जला नहीं पाओगें !!!
———————————————
मुझे बनाने वाला भी.......मै हूँ
मुझे खरीदनें वाला भी.... मै हूँ
सदियों से क्या कभी मरा हूँ मै ?
मुझें जलाने वाला भी तो, मै हूँ
विजयादशमी पर,
हम रावण के संहार..
की बात करते है !
अपने चाल चरित्र..
और अहंकार पर
मौन क्यौ रहते है !!
कहाँ नही है रावण
आज मेरे देश मै !
हर गली मोहल्लें मै
घूम रहें भेड़िये के भेष मै !!
इस देश की कोई भी..
सीता सुरक्षित नही है,
वर्तमान "परिवेष" मै !
गाँव गली नगरो मै...
रावण" घूम" रहे है,
राम के इसी देश मै !!
जलायो...
बस्ती बीरान...
और सभ्यतायें,
सूनी हो जायेंगी !
ढुड़लो...
मर्यादा के राम को,
आज के इस दौर मै..
सदीयाँ गुजर जायेगी !!
———————————
स्वरचित......
डाॅ० योगेश सिंह धाकरे "चातक"
आलीराजपुर म. प्र
No comments:
Post a Comment