Wednesday, 1 November 2023

अच्छाई के आगे हारना है - रशीद अकेला























अच्छाई के आगे हारना है

कलयुग के रावण को राम बनकर मारना है
हो बुराई कितनी भी अच्छाई के आगे हारना है

      लोग संवारते हैं तन को 
      हमें मन को संवारना है

समाज में फैली है बुराइयाँ मगर
अच्छाईयों से ही उसे मारना है

बुराई पर अच्छाई झूठ पर सच का है प्रतीक
सच्चाई और अच्छाई जीवन में अपने उतारना है 

ना आस्था हो आहत ना आस्था से किसी को आहत 
    इंसानियत को ना हमें कभी भी मारना है 

   और रावण का दहन करने से पहले रशीद 
    अपने अंदर के रावण को मारना है

रशीद अकेला, झारखण्ड

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