डर
टिमटिमाते दीये से पूछा -महंगाई का हालमुस्कुराके वो होले से बोल उठा -मेरी तरह हर इंसान परेशान है।मै तो ईश्वर का माध्यम हूँमेरी बदोलत ही हर इंसानजीवन मे आशीर्वादचाहने की चाह रखता है|तो क्यों न मांग लू मै भी ईश्वर सेअंधेरा दूर करने का वरदानमै तो एक छोटा सा दीया हूँजो देता आया हूँ हर घर मेविश्वास और आस्था का हौसलाकिन्तु मुझे भी डर हैअंधविश्वास की आंधियों सेजो मुझे बुझा ना देसचाइयो के हाथो की आड़ लेकरमहंगाई के डर सेढांक लो जरा मुझेमुझे बुझने मत दोनही तो महंगाई कम का वरदान किस्से मांगेंगे।
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