राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारीवाणी की साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता ... चांदनी
चांदनी रात में
महबूब के साथ में ।
मौसम सुहाना हो
प्यार की बरसात हो ।
सारा सच चांदनी रात हो
झिलमिलाता जहान हो।
चमकते तारों का सुन्दर
सुहाना आसमान हो ।
हुस्न की बरसात हो
ओंठो में प्यास हो ।
आंखो में नशा हो
बस हसीन रात हो ।
चांद की रोशनी से
दूधिया बरसात हो ।
चमकते तारो की
सारा सच चांदनी रात हो ।
टिम टिमाती रात में
महबूबा का साथ हो।
सिमटते सपने की
सुहानी ये रात हो ।
बिखरी सी जुल्फे
घूंघट सी लगती है ।
सारा सच चेहरे को अपने
छुपाए जो रखती हैं ।
सुहाना ये मौसम
मन को ललचाये ।
दोनों का आपस में
दिल धड़क जाये ।
चांदनी रात में
मन मचल जाये ।
रात का सुहाना ये
सारा सच वक्त थम जाये ।
पति पत्नी साथ हो
छत पर मुलाकात हो ।
सारा सच चांदनी रात हो
बस सुहानी रात हो ।
जीवन की ये रात
चांदनी सी खिली हो ।
पति पत्नी की ये
सुन्दर सुहानी रात हो ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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