राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी की साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय... संतान/ सुख
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता...
संतान /सुख
संतान को जन्म दिया है
सबसे सुन्दर वो मां है ।
मां की ममता मत पूछो
ममता की वो मूरत है ।
मां ही उडोना मां ही बिछौना
जब मां की कोख में होता है ।
सारा सच मां खाना जो खाये ।
वो ही संतान को मिलता ।
कुदरत का ये खेल निराला
मां की कोख का घर निराला ।
नौ माह का सुन्दर सपना ।
पल पल मां ने वो संभाला ।
क्या क्या कष्ट वो सहती है
फिर भी वो खुश रहती है ।
मां बनने के सुख के खातिर
अपने दुख को भूल जाती है ।
बेटा हो या बेटी हो बस
अपनी संतान समझती है ।
भ्रूण हत्या जैसा घृणित
कार्य कभी नही करती है ।
मां बनने के सपने को
हर पल सोचती रहती है ।
कितने सुन्दर सपने प्यारे
संतान को देखती रहती है ।
ऐसी मां के सपनो को
संतान होने से पूरे होते हैं ।
सारा सच जिस मां ने जन्म दिया
उस मां के आंचल में पलते है ।
संतान पैदा होते ही
मां.. मां कहकर रोता है ।
कभी हंसता है कभी रोता है
मां की ममता से बड़ा होता है ।
मां तो जैसे संतान सुख पर
अपनी जान छिड़कती हैं ।
सारा सच बच्चे के रोने पर
तड़पकर प्यार करती है ।
गले से लगाकर अपने
आंचल का दूध पिलाती है ।
अपने आंचल में संजोती है
सहलाती है पुचकारती है ।
मां की ममता को पा करके
बच्चा कुछ कुछ बड़ा होता है ।
कभी पेट के बल चलता है
कभी हाथों के बल बैठता है ।
घुटनों के बल भी चलता है
खड़े होने की कोशिश करता है।
गिरता है संभलता है उठता है
चोट लगने पर रोता भी है ।
मां की ममता का पल पल
ही बच्चे के साथ में होता है ।
मां का प्यार दुलार पाकर ही
खुश होने पर हंसता भी है ।
मां अपनी ममता से सींचती
कदम कदम पर संभालती है ।
खेलते हुए जब थक जाता है
बच्चे का स्वमं मालिश करती है ।
बच्चे के दुख से दुखी होकर
आंचल का दूध पिलाती है ।
दुखी होकर छटपटाती है
दर्द से दिल से तड़पती है ।
ऊंगली पकड़ चलना सिखाती
गिरता है उठता है संभलता है ।
चोट लगती है जोर जोर रोता है
और दर्द मां को दिल में होता है ।
बच्चे तो मां की संतान है
बचपन में खिलौनों से खिलाती ।
सारा सच मां तो मां ही होती है
बच्चों का खिलौना बन जाती है ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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