अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्य प्रतियोगिता मंच - "हमारीवाणी"*
*प्रतियोगिता का विषय*
#hamarivani #हमारीवाणी
*दशहरा / रावण / राम / लक्ष्मण / सीता / हनुमान/ अयोध्या/ लंका / वनवास*
*अयोध्या*
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
राजा रावण को मार राम,
विभीषण को तारे राम ।
बुराई पर अच्छाई की जीत,
लंका में विभीषण से हुई मित ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
वनरराज सुग्रीव से हुई मीत ,
राजा राम की हुई जीत ।
युद्ध में बाली को मार राम,
राजा सुग्रीव को तारे राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
लंका में गए हनुमान,
लंका जलाएं वीर हनुमान ।
प्रभु भक्त है वीर हनुमान,
मिलकर सभी करो प्रणाम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
सीता बीन व्याकुल है राम,
वन में जाते लक्ष्मण राम ।
सीता जी है जिनके श्री वाम,
ऐसी प्रभु हमारे राजा राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
राम लक्ष्मण के दशरथ जी पिता,
श्री राम लक्ष्मण संग में माता सीता ।
स्वर्ण मृग को सधे प्रभु श्री राम,
मामा मारिच बोले सीता राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
लंका पहुंचे प्रभु राजा राम,
रावण को तारे प्रभु श्री राम ।
राजनीति ज्ञान पाते लक्ष्मण राम,
जन जन करता जिन्हें प्रणाम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
अशोक वाटिका में माता सीता,
श्री विदेही जनक जिनके पिता ।
परशुराम धनुष तोड़ते प्रभु श्री राम,
सीता स्वयंवर जीते प्रभु श्री राम ।
माता शबरी के झूठे बेर खाते राम,
मातंग ऋषि बोले आएंगे श्री राम ।
माता शबरी की कुटिया में पधारे राम,
निर्झर वन पपीहा बोले जय श्री राम
।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
चोदह वर्ष बिताते राम,
वन में जाते लक्ष्मण राम ।
खरदूषण तिसरा को मार राम,
वनवास को जाते राजा राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
सारा सच कहता है सच-सच,
राम रावण युद्ध में विजय हुए श्री राम ।
सारा सच के कहने से हम सब,
श्री राम जी को करो प्रणाम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
राजा रावण को मार राम,
विभीषण को तारे राम ।
बुराई पर अच्छाई की जीत,
लंका में विभीषण से हुई मित ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
वनरराज सुग्रीव से हुई मीत ,
राजा राम की हुई जीत ।
युद्ध में बाली को मार राम,
राजा सुग्रीव को तारे राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
लंका में गए हनुमान,
लंका जलाएं वीर हनुमान ।
प्रभु भक्त है वीर हनुमान,
मिलकर सभी करो प्रणाम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
सीता बीन व्याकुल है राम,
वन में जाते लक्ष्मण राम ।
सीता जी है जिनके श्री वाम,
ऐसी प्रभु हमारे राजा राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
राम लक्ष्मण के दशरथ जी पिता,
श्री राम लक्ष्मण संग में माता सीता ।
स्वर्ण मृग को सधे प्रभु श्री राम,
मामा मारिच बोले सीता राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
लंका पहुंचे प्रभु राजा राम,
रावण को तारे प्रभु श्री राम ।
राजनीति ज्ञान पाते लक्ष्मण राम,
जन जन करता जिन्हें प्रणाम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
अशोक वाटिका में माता सीता,
श्री विदेही जनक जिनके पिता ।
परशुराम धनुष तोड़ते प्रभु श्री राम,
सीता स्वयंवर जीते प्रभु श्री राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
माता शबरी के झूठे बेर खाते राम,
मातंग ऋषि बोले आएंगे श्री राम ।
माता शबरी की कुटिया में पधारे राम,
निर्झर वन पपीहा बोले जय श्री राम
।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
चोदह वर्ष बिताते राम,
वन में जाते लक्ष्मण राम ।
खरदूषण तिसरा को मार राम,
वनवास को जाते राजा राम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
जहां विराजमान है राम लाल,
ऐसा पुण्यतीर्थ है अयोध्या धाम ।
चारों वेद कहते है नेति नेति,
प्रभु श्री राम चरण में कोटी प्रणाम ।
अयोध्या है प्यार धाम,
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम,
आओ मिलकर करो प्रणाम ।
रचना का शीर्षक-
*अयोध्या*
रचना पूर्ण रूप से मौलिक है सत्य एवं प्रमाणित है
कवि सुरेंद्र कुमार जोशी
ग्राम- जोलाय
तहसील- सोनकच्छ
जिला -देवास /मध्य प्रदेश
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