Wednesday, 1 November 2023

अयोध्या - कवि सुरेंद्र कुमार जोशी

 























अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्य प्रतियोगिता मंच - "हमारीवाणी"*
*प्रतियोगिता का विषय* 

*दशहरा / रावण / राम / लक्ष्मण / सीता / हनुमान/ अयोध्या/ लंका / वनवास*

*अयोध्या*

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम । 
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

राजा रावण को मार राम, 
विभीषण को तारे राम । 
बुराई पर अच्छाई की जीत,
लंका में विभीषण से हुई मित ।

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

वनरराज सुग्रीव से हुई मीत ,
राजा राम की हुई जीत । 
युद्ध में बाली  को मार राम, 
राजा सुग्रीव को तारे राम  । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

लंका में गए हनुमान, 
लंका जलाएं वीर हनुमान ।
प्रभु भक्त है वीर हनुमान, 
मिलकर सभी करो प्रणाम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

सीता बीन व्याकुल है राम, 
वन में जाते लक्ष्मण राम । 
सीता जी है जिनके श्री वाम, 
ऐसी प्रभु हमारे राजा राम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

राम लक्ष्मण के दशरथ जी पिता, 
श्री राम लक्ष्मण संग में माता सीता ।
स्वर्ण मृग को सधे प्रभु श्री राम, 
मामा मारिच बोले सीता राम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

लंका पहुंचे प्रभु राजा राम, 
रावण को तारे प्रभु श्री राम । 
राजनीति ज्ञान पाते लक्ष्मण राम, 
जन जन करता जिन्हें प्रणाम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

अशोक वाटिका में माता सीता, 
श्री विदेही जनक जिनके पिता । 
परशुराम धनुष तोड़ते प्रभु श्री राम, 
सीता स्वयंवर जीते प्रभु श्री राम । 

माता शबरी के झूठे बेर खाते राम, 
मातंग ऋषि बोले आएंगे श्री राम । 
माता शबरी की कुटिया में पधारे राम, 
निर्झर वन पपीहा बोले जय श्री राम
। 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

चोदह वर्ष बिताते राम, 
वन में जाते लक्ष्मण राम । 
खरदूषण तिसरा को मार राम, 
वनवास को जाते राजा राम  । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम ।

सारा सच कहता है सच-सच, 
राम रावण युद्ध में विजय हुए श्री राम ।
सारा सच के कहने से हम सब, 
श्री राम जी को करो प्रणाम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम । 
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

राजा रावण को मार राम, 
विभीषण को तारे राम । 
बुराई पर अच्छाई की जीत,
लंका में विभीषण से हुई मित ।

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

वनरराज सुग्रीव से हुई मीत ,
राजा राम की हुई जीत । 
युद्ध में बाली  को मार राम, 
राजा सुग्रीव को तारे राम  । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

लंका में गए हनुमान, 
लंका जलाएं वीर हनुमान ।
प्रभु भक्त है वीर हनुमान, 
मिलकर सभी करो प्रणाम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

सीता बीन व्याकुल है राम, 
वन में जाते लक्ष्मण राम । 
सीता जी है जिनके श्री वाम, 
ऐसी प्रभु हमारे राजा राम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

राम लक्ष्मण के दशरथ जी पिता, 
श्री राम लक्ष्मण संग में माता सीता ।
स्वर्ण मृग को सधे प्रभु श्री राम, 
मामा मारिच बोले सीता राम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

लंका पहुंचे प्रभु राजा राम, 
रावण को तारे प्रभु श्री राम । 
राजनीति ज्ञान पाते लक्ष्मण राम, 
जन जन करता जिन्हें प्रणाम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

अशोक वाटिका में माता सीता, 
श्री विदेही जनक जिनके पिता । 
परशुराम धनुष तोड़ते प्रभु श्री राम, 
सीता स्वयंवर जीते प्रभु श्री राम । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम ।

माता शबरी के झूठे बेर खाते राम, 
मातंग ऋषि बोले आएंगे श्री राम । 
माता शबरी की कुटिया में पधारे राम, 
निर्झर वन पपीहा बोले जय श्री राम
। 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम । 

चोदह वर्ष बिताते राम, 
वन में जाते लक्ष्मण राम । 
खरदूषण तिसरा को मार राम, 
वनवास को जाते राजा राम  । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम ।

जहां विराजमान है राम लाल, 
ऐसा पुण्यतीर्थ है अयोध्या धाम  । 
चारों वेद कहते है नेति नेति, 
प्रभु श्री राम चरण में कोटी प्रणाम  । 

अयोध्या है प्यार धाम, 
बार-बार जिसको प्रणाम ।
जहां विराजमान राजा राम, 
आओ मिलकर करो प्रणाम ।

रचना का शीर्षक-
*अयोध्या*

रचना पूर्ण रूप से मौलिक है सत्य एवं प्रमाणित है

कवि सुरेंद्र कुमार जोशी
ग्राम- जोलाय
तहसील- सोनकच्छ
जिला -देवास /मध्य प्रदेश

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