नवरात्रि सम्पूर्ण शक्ति साधना है !!
!! प्रथम स्वरूप !!
माता 'शैलसुता हर लो व्यथा,
हौसला हिमालय सा कर दो ।
विपत्ति बाधायें न सतायें..
जीबन सुख शान्ति से भर दो ।।
!! द्वितीय स्वरूप !!
ब्रह्मचारिणी' माँ ब्रह्म तप सें,
उत्पत्ति को उपयुक्त कर दो ।
जप की माला कमण्डलधारा,
विपत्ति सें विमुक्त कर दो ।।
!! तृतीय स्वरूप !!
माँ चंद्रघंटा की विग्रह पूजा से,
साधक ही आराधक बन जाये ।
मन 'मणि' चक्र में समाहित हो,
तत्वज्ञान का साधक बन जायें ।।
!! चर्तुथ स्वरूप !!
कुष्मांड़ा सृष्टी रचना की देवी..
आदिः शक्ति सूर्य स्वरुपा हो ।
सुर्यमंडलीय वलय निवासिनी,
'तिमिर' में तेज की आभा हो ।।
!! पंचम स्वरूप !!
स्कंदमाता मोक्षदायिनी देवी..
साधक का अन्त सँवार दो ।
सम्पूर्ण इच्छाऐं प्रदात्री देवीः..
मोक्ष के परम पद से वार दो ।।
!! छटवाँ स्वरूप !!
कात्यायनी माँ संहार की देवी...
बल संचय को प्रबल कर दो !
आज्ञा चक्र में..यथा पूजा से...
प्राप्त ज्ञान को सबल कर दो !!
!! सातवाँ स्वरूप !!
माँ यम,नियम,संयम का ज्ञान दो,
सर्वदा भय-मुक्तता का वरदान दो ।
अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय,
शत्रु-भय, का पूर्ण समाधान दो ।।
!! आठवाँ स्वरूप !!
महागौरी अम्बें अमोघःशक्ति..
दात्री देवी नारायणी नमो नमः।
संचित पाप हारिणी नमो नमः
भवसागर तारिणी नमो नमः।।
!! नौवाँ स्वरूप !!
सिध्दिदात्री कृपा सें मान मिलें
धन,वैभव और सम्मान, मिलें ।
साधना सें पूर्ण सिद्धी मिलें
पुण्य पावन प्रसिध्दि मिलें ।।
माता की नवधा भक्ति ही,
पूर्ण शक्ति साधना है ।
धन वैभव समृध्दी बल की,
संम्पूर्ण आराधना है ।।
कुछ भी असंभव नही है,
नवधा भक्ति से संसार में !
अगम्य भी गम्य बनता है
माता रानी के, दरबार मै !!
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स्वरचित......
डाॅ० योगेश सिंह धाकरे "चातक"
[ ओज कवि ]आलीराजपुर म.प्र
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