सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना
**विषय:युध्द**
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*आसमां को चिरती हुई गूंजें*
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(विधा: छंदमुक्त)
जहां होती है बुद्ध की विचारधाराएं अनमोल,
वहां कभी ना छायेंगे युद्ध के काले-काले बादल।
युद्ध के बिना ही समझौता करके इस संसार में,
उजाडो ना तुम कई सुहागिनों के सुहाग और माताओं का आंचल।
युद्ध से किसीको क्या मिला है इस सारे संसार में,
वही कल का इतिहास हमारे लिए आज भी गवाह बनके बैठा है।
युद्ध में तबाही के सिवा कुछ नहीं दिखता चारों ओर,
और जगह-जगह पर आसमां को चिरती हुई गूंजें सुनाई देती है।
बुध्द की विचारधाराएं भी आज यहां काम नहीं आयी,
येशू का बलिदान भी कोई यहां देखता नहीं ।
आज भी वही अंधेरा छाया है विश्व में,
ऐसे बदलाव को, कौन यहां उन्नति कहता है।
पुछो कभी अपने मन से क्या होती है इन्सानियत,
पुछो कभी अपने दिल से तुम इन्सान कैसे हैं।
गर इन्सानियत का मतलब समझ लेता हर कोई इन्सान यहां,
तो फूलों की चमन जैसा दिखता आज ये सारा जहां।
जितना भी ज्ञान आज हमने लिया है यहां पर,
उसी ज्ञान का सही मतलब हम यहां समझते है।
इसलिए ये मेरे लफ़्ज़ भी जोड़ना चाहते है दिलो दिलों को,
क्योंकि हमने यहां इन्सानियत का सही मतलब जान लिया है।
"जियो और जीने दो"यही है सच्ची इन्सानियत,
जो औरों की भी भलाई सोचे वही मानवता है।
हंसी आती है हमें,बदले हुए इन्सानों पर आज यहां,
क्योंकि वो इन्सान,इन्सान कहलाने के भी लायक नहीं है।
आज जिस राह पर चल रहा है ये सारा विश्व,
वही रास्तां आज यहां बर्बादी की ओर जा रहा है।
शांति और अमन उसी में है सारे विश्व की भलाई,
नहीं तो कल ये इन्सानों का चमन भी खंडहर बननेवाला है।
किस अहंकार में डुबा है ये सारा संसार,
जीतकर भी कुदरत के सामने सभी है यहां देखो कितने लाचार।
जब कोई आती है कुदरती आफत सारे संसार पर,
उसी वक्त सोचो तुम कुदरत के सामने कौन यहां सिकंदर है।
स्वातंत्र्य,समता,बंधूता और प्रेम वही है बुध्द की वाणी,
येशू का बलिदान भी सभीको प्रेम का संदेश दे रहा है।
आज ही समझ लो तुम ज्ञान का सही मतलब यहां,
कई सिकंदर दफन हुए हैं इसी भूमि में,ये इतिहास आज भी गवाह है।
प्रा.गायकवाड विलास
महाराष्ट्र
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