राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारीवाणी की साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय.... तूफान
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता... तूफान
आंधी पानी बारिश के साथ
तूफान जहां भी आता है ।
तबाही ही तबाही मचती है
आशियाना तबाह हो जाता है ।
ईश्वर की बिनाशकारी लीला
अचानक कहीं भी आ जाती है ।
तेज आंधी तूफान के साथ ही
सारा सच बारिश जोरों से होती है
तूफान कहीं जब आता हैं
शहर गांव उजाड़ देता हैं ।
इन्सान हों या जानवर हों
सभी को बेघर कर देता हैं ।
तूफान है तूफान की तरह
सारा सच जहां से भी गुजरता है ।
बस कोहराम मचाता जाता है ।
पेड़ पौधो को भी उजाड़ देता है ।
चारों तरफ रूदन ही रूदन
सारा सच सुनाई देता है ।
लोगों में डर ही डर और
हाहाकार मचा देता है ।
प्रकृति की ऐसी विनाशकारी
लीला को कौन रोक पाता है ।
प्राकृति को क्या करना है
भविष्य को कौन समझ पाता है ।
तूफान आया है चला जाता है
रूदन, क्रंदन को छोड़ जाता है ।
तूफान की मचती त्रासदी में
लाशों के ढेर लगाता जाता है ।
किसी की मां किसी का बेटा
बस लाशों में बदल जाते हैं ।
सारा सच कई मासूम बच्चे भी
मलवे में दबे जिन्दा बच जाते हैं ।
तूफान , बारिश कब आए
किस पर कैसे कहर बरसाए ।
कोई कुछ समझ नहीं पाता है
रोता बिलखता छोड़ जाता है ।
प्राकृति कब क्या खेल खिलाती
सारा सच कोई समझ नहीं पाते है ।
कुछ स्वार्थी लोग हो हल्ला करके
अपना उल्लू भी सीधा करते हैं ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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