पापा
आप के साए को मैं सर पे सजाऊं कैसे, आपको मौत से फिर छिन के लाऊं कैसे !!
आपकी याद में आंसू जो मेरे बहते हैं, उनको दुनिया की निगाहों से छुपाऊं कैसे!!
आप के बाद लम्हात जो मेरे कटते हैं, दास्तान आप को पापा मैं सुनाऊं कैसे!!
आपकी दि हुई तालीम का एक एक मोती, अज़मतें गर में गिनाऊॅ तो गिनाऊॅ कैसे!!
आप की छांव में गुजरे जो शब-ओ- रौज़ मेरे, उनको यादों में सजाऊं तो सो सजाऊं कैसे!!
आप की शान में क्या कहते हैं दुनिया वाले, आपको सब वह सुनाऊँ तो सुनाऊँ कैसे!!
ज़ब्द करना है जमाने की सभी बातों को, यह हुनर ढूंढ के गर लाऊं तो लाऊं कैसे!!
जो भी समझाया था मुझे वह सभी कुछ पापा, देखती हूं कि निभाओ तो निभाओ कैसे!!
आपने जो भी दुआओं में कभी मांगा था, आपको सब वह दिखाऊं तो दिखाऊं कैसे!!
आप के साए को मैं सर पे सजाऊं कैसे, आपको मौत से फिर छिन के लाऊं कैसे !!
** रेहाना अली **
दिल्ली
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