Sunday, 29 October 2023

युद्ध - डॉ० अशोक


 
















युद्ध 

यह युद्ध एक अभिशाप है,
दुनिया में एक बड़ी पाप है,
मानवीय मूल्यों को खत्म करने का,
यह एक कुत्सित अहसास है,
सबको सम्बन्धों से दूर करने का,
एक सम्बल प्रयास है।
यह त्रासदी खत्म कर देती है मानवता को,
सम्बन्धों में कटुता फैलाती है,
आगे बढ़ने की राह पर,
तरह-तरह की बाधाएं सहित,
नजदीकि से समीपवर्ती क्षेत्रों में ही नहीं,
वैश्विक स्तर पर  बहुत कष्ट पहुंचाती है।
यहां युद्ध में दिखता अनाचार है,
संकट और गहरी चाल से सना हुआ,
एक नये रंग का कुत्सित अत्याचार है।
यह   दुखद व्यवहार संग एक भीषण आग है,
मन के आनंदित पल को खत्म करने वाली,
बहुत  तकलीफ़ देह  सुराग़  है,
स्वतन्त्र और निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में,
यह एक अत्यंत दुखदाई व्यवहार है,
मानवीय मूल्यों को खत्म करने में,
इसका दिखता मजबूत व प्रखर अवतार है।
यह जनजन तक कष्ट पहुंचाती है,
खुशियां और सुकून देने वाली संस्था को,
बिल्कुल कर जाती वीरान है।
यह अत्यंत दुर्लभ तकरार है,
हमें सम्हलकर  रहने के लिए युद्ध के स्थान पर,
मधुर व्यवहार और आचरण की दरकार है।
यह सामाजिक समरसता को आगे बढ़ाने में,
सबसे पहले खड़ा होकर दिखलाता अपना संस्कार है।
युद्ध अक्सर नवीन जोश और उत्साह को,
हमेशा- हमेशा के लिए खत्म कर देती है,
खुशियां और आनन्द की वैतरणी को समेटकर,
जीवन शैली की तमाम खुशियां और सुकून को,
रोते-रोते हुए ही लम्बी उम्र तक के ,
हमेशा के लिए खत्म कर देती है।

डॉ० अशोक, पटना, बिहार।

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