बारिश
बारिश की रिमझिम का,
एक पारदर्शी इतिहास है।
छोटी-छोटी बूंदों से बने,
बादल का रहता तलाश है।
बादल धीमी-धीमी गति से,
आगे बढ़ते रहता है।
आकाश में लटकते हुए,
बहुत खूबसूरत दिखता है।
भारी होने की बजह से,
बारिश के रूप में ज़मीन पर गिरता है,
बादल पानी की बूंदों से,
बना एक अद्भुत अवतार है।
यही परिवर्तन लाकर,
जनजन का का करता उद्धार है।
बारिश का श्रंगार धरती है,
धरती पर गिरकर मिट्टी में घुस जाता है,
गहरी मिट्टी की परत में,
बेखबर हो गहरी नींद में समा जाता है।
बारिश ज़िन्दगी का एक अपूर्व श्रंगार है,
बारिश नहीं हुई तो जगत-संसार में,
खूब मचता तबाही कहलाता हाहाकार है।
बारिश नहीं हुई या उद्भव की,
सम्भावना क्षीण हुईं तो,
मिट्टी की नमी खत्म हो जाती है।
भूजल स्तर की बड़ी भारी समस्या,
सदैव जनमानस के लिए उत्पन्न कर जाती है,
यह जल की धारा प्रवाह में,
बहुत ही निर्दयता से कमी लाता है,
फ़सल को भारी मात्रा में,
उम्मीद से ज्यादा क्षति पहुंचाता है।
इसलिए हम यहां यह कह सकते हैं कि,
बारिश ही दुनिया की तकदीर है,
समस्त संसार में खुशहाली देने वाली,
एक सही- सही सलोनी तस्वीर है।
डॉ ०अशोक,पटना, बिहार।
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