राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी की साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय... हादसा/ दुर्घटना
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता...
हादसा / दुर्घटना
हादसा, दुर्घटनाएं अक्सर
सुनने देखने को मिलती है ।
जीवन में खुशियां के साथ
मुसीबतें भी आती रहती हैं ।
सारा सच कुदरत का कहर
कब कैसे कहां पर आ जाए।
तबाही ही तबाही मचाती है
मौत का मंजर सुनाई देता है ।
भूकंप तूफान सुनामी हो
आते ही तबाही मचाते हैं ।
तबाही ही तबाही मचाती है
जन जीवन तबाह कर देते है ।
ट्रेनों की हुई दुर्घटना भी
कुदरत का ही कहर है ।
दुर्घटना स्थल का दृश्य
क्रंदन का कैसा मंजर है ।
सुनामी लहर कहीं आती हैं
शहर गांव उजाड़ देती हैं ।
इन्सान हों या जानवर हों
सभी को बेघर कर देती हैं ।
सुनामी लहर सुनामी है
जहां से भी गुजरती है ।
कोहराम मचाती जाती है ।
पेड़ पौधे भी उजाड़ देती है ।
सारा सच चारों तरफ हादसों
का रूदन सुनाई देता है ।
लोगों में डर ही डर और
हाहाकार मचा देता है ।
प्रकृति की ऐसी विनाशकारी
लीला को कौन रोक पाता है ।
प्रकृति को कब क्या करना है
भविष्य को कौन समझ पाता है ।
सुनामी आती है चली जाती है
रूदन, क्रंदन को छोड़ जाती है ।
सुनामी लहर जब भी आती है
लाशों के ढेर लगाती जाती है ।
किसी की मां किसी का बेटा
सारा सच लाशों में बदल जाते हैं ।
कई बड़े बूढ़े मासूम बच्चे भी
मलवे में दबे जिन्दा बच जाते हैं ।
सुनामी लहर कब आ जाए
किस पर कैसे कहर बरसाए ।
कोई कुछ समझ नहीं पाता है
रोता बिलखता छोड़ जाता है ।
प्राकृति कब क्या खेल खिलाती
सारा सच कोई समझ न पाते है ।
कुछ स्वार्थी लोग हो हल्ला करके
अपना उल्लू भी सीधा करते हैं ।
सुनामी की तबाही के मंजर को
देखकर मन विचलित होता है ।
हाहाकार शोकाकुल के मंजर में
चारों तरफ रूदन सुनाई देता है ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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