पहली शैलपुत्री
दूसरी ब्रह्मचारिणी
तीसरी चंद्रघंटा
चौथी कूष्मांडा,
पांचवी स्कंध माता
छठी कात्यायिनी
सातवीं कालरात्रि
आठवीं महागौरी और
नौवीं सिद्धिदात्री
मां दुर्गा के नौ रुप
जिससे भर भर जाता
नवरात्रि का ये पावन उत्सव
हर दिन मिलता आशीर्वाद
घर उठा जगमगा
माँ की अखंड ज्योत
पंच मेवा, नारियल,
पुष्प, धूप, दीप,अगरबत्ती से
लाल चुनरी सिर पर है उड़ाई
भर भर नज़र निहारूँ
माँ के दिव्य स्वरूप को
भक्ति संग शक्ति
यही तो है दिव्य स्वरूप
माँ दुर्गा का
बस कृपा अपनी सदैव
बनाये रखना
हो कोई भूल चूक
तो कर देना माफ
बस होना न दूर कभी
दिल से और घर से हमारे
करते बारम्बार प्रार्थना यही
हाथ जोड़कर
माँ तू ही है आस, तू ही आधार जीवन का
बस रखना ये याद सदा
तेरी छत्र छाया में ही
फल फूल रही जीवन की
ये बेल
ले कर नाम तेरा
पा कर दरस तेरा
बस जब तक है सांस
सिर पर बना रहे हाथ
तेरा माँ अम्बे मेरी
है बस कामना यही
बना रहे साथ तेरा
माँ मेहरावली
माँ ज्योतांवाली।।
.....मीनाक्षी सुकुमारन
नोएडा
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