Monday, 23 October 2023

दुर्गा दोहे - डॉ चन्द्र दत्त शर्मा

 























दुर्गा दोहे

शीश झुकाकर मात को,  वंदन बारम्बार।
करती जग की पालना,करती दुख निस्तार।।

किस्मत में जो ना लिखा, लिख देती है मात ।
सच्चे मन सुमिरन करो,देगी सुख सौगात ।।

बंद सभी जो द्वार हों,खुलता है इक द्वार ।
भटका हो इंसान जो,माँ करती उद्धार ।

चाहे कितने नाम हों, लेकिन शक्ति एक।
लक्ष्मी , उमा, गिरा कहो, केवल धाम अनेक।।

दुर्गा दुर्गति दूर करे, दूर हो दुष्ट द्वेष।
सुख सम्पदा सदा रहे, कभी न कोई क्लेश।।

सारा सच संसार का, सच्चा मां का द्वार।
सारा सच इस बात में,मिले माता का प्यार।

डॉ चन्द्र दत्त शर्मा

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