*सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना*
**विषय: माफिया*
#हमारीवाणी #hamarivani
**कुछ मुट्ठीभर लोगों ने ही*
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(छंदमुक्त काव्य रचना)
सारे जहां में फैला हुआ है ये कैसा माफिया राज़,
उसी की वजह से शांति और सुकून यहां खोया हुआ है।
माफिया राज के चलते कैसे रहेगी खुशहाली जहां में,
ये माफिया राज़ तो सारे जहां के लिए विनाश का कारण बन गया है।
किसी भी लोकतंत्र में माफिया राज होना ये बड़ी शर्मिंदगी की बात है,
कायदा कानून होकर भी कैसे खुलेआम इनका राज़ चलता है।
ऐसे लोगों के वजह से ही औरों की जिंदगियां होती है बर्बाद,
इसीलिए आम आदमी की जिंदगी यहां दहशत में गुज़र रही है।
युही नहीं चलता किसी भी लोकतंत्र में ये माफिया राज,
कुछ लोगों की गन्दी राजनीति ही उनका आधार बनी हुई है।
जब होगी राजनीति अच्छे आचार-विचार और देशहित में,
तभी ये माफिया राज के जड़ें ही सारे जहां से खत्म हो जायेगी।
कानून के आगे कोई भी श्रेष्ठ नहीं है इस संसार में,
मगर कानून के रखवाले ही दुरूपयोग उसका कर रहे हैं।
जब तक देते रहेंगे कुछ नेता उसी माफिया राज का साथ,
ऐसे में भला कैसे यहां सुख शांति की बहार संसार में आयेगी।
कुछ मुट्ठीभर लोगों ने ही छीन ली है यहां की सुख शांति और अमन,
इसीलिए बिखरा बिखरा सा लगता है ये इन्सानों का चमन।
जब खत्म हो जायेगा सारे जहां से ये फैला हुआ माफिया राज,
उसी दिन रात भी यहां बेखौफ सी नज़र आयेगी।
उसी माफिया राज के चलते कौन कैसे जियेगा यहां पर खुशहाल,
उन्हीं के वजह से यहां दिन का उजाला भी सहमा सहमा सा लगता है।
इसीलिए मिटा दो ऐसे माफिया राज को,जिसने फैला दी है दहशत संसार में,
क्योंकि कोई भी मुल्क ऐसे लोगों की जागीर नहीं है।
सारे जहां में फैला हुआ है ये कैसा माफिया राज,
उसी की वजह से ही शांति और सुकून यहां खोया हुआ है।
ये माफिया राज तो दीमक की तरह होता है संसार के लिए,
जो सुख शांति और अमन के लिए फैलता हुआ नासूर बन गया है - - - फैलता हुआ नासूर बन गया है।
प्रा.गायकवाड विलास
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
महाराष्ट्र
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