विषय पिता
पिता होते देव तुल्य,
देते हमको अनुभव ज्ञान।
सन्मार्ग पर चलना सिखाते,
पुत्र के जीवन में वरदान।।
पिता वो वटवृक्ष हैं,
देते हैं शीतल छांव।
माझी है परिवार के
चलाते परिवार की नाव।।
पिता हमारे जन्मदाता
मिलता है उनसे नाम।
धर्म पथ चलाने वाले,
मात पिता है चारो धाम।।
घर सुरभित मात-पिता से,
परिवार के हैं वह माली।
अपने खून पसीने से,
सींचते हैं डाली डाली।।
ऊंचाइयों के शिखर पर,
चाहते हैं देखना बच्चों को।
नभ को छूने वाला,
मेरी ही खून का कतरा हो।।
एक पिता पालता चार पुत्रों को,
चार को एक होता है भारी।
भूल जाते सेवा सुश्रुषा,
मतलब की है दुनियादारी।।
जनक है परिवार के,
रखो सभी उनका ध्यान।
मिलेगा आशीष तुम्हें,
पाओगे जगत सम्मान।।
@पदमा तिवारी दमोह मध्य प्रदेश
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