गंगाजल
गंगाजल जल नहीं है केवल,
आस्था की अनन्यता का है बल,
शिव की आराधना का है फल,
गंगाजल जल नहीं है केवल।
भगीरथ के अथक प्रयत्न का हल,
शिव की कृपा से हुआ सफल,
पाप नाशिनी वह अमृतधारा,
मानव कल्याण हेतू बह रही है कल-कल।
गंगाजल जल नहीं है केवल।
हिमालय की गोद से निकलकर,
मोक्षदायिनी प्रवाहित अमृत जल,
सभी जीवों को करती है पावन,
माँ गंगा बहती है अविरत पल-पल।
गंगाजल जल नहीं है केवल।
अनंत बाधाओं को कर विफल,
गांव-गांव,शहर-शहर धोती सबका मल,
अशुद्ध,मैली वह बनाती खुद्द,
करती शुद्ध-पावन जन सकल।
गंगाजल जल नहीं है केवल।
गंगा मैय्या का पवित्र शीतल जल,
हमारी यह धरोहर है अनमोल,
दूषित-प्रदूषित इसे न करे हम,
संकल्प बस यह हो इसे रखे निर्मल।
गंगाजल जल नहीं है केवल,
आस्था की अनन्यता का है बल।
गोरक्ष जाधव©®
मंगळवेढा, महाराष्ट्र
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