गोवर्धन पूजा
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के पहले पहर में मौन स्नान करके गौ माता की पूजा करके दीपदान करें और गौ माता के कान में राम-राम कह कर फिर अपना मौन व्रत तोड़ें। इस दिन जो मनुष्य जिस स्थिति में यानी आज के शुभ दिन में जिस स्थिति में होता है उसी स्थिति में वह एक वर्ष तक रहता है ऐसी पुराण में मान्यता है। इसलिए सुंदर दिव्य भोगों एवं उत्तम भोंगों की इच्छा हो उस दिन मंगलमय उत्सव करें। प्रात:काल गोवर्धन की पूजा करें। उस दिन गौओं से दुहने का काम नहीं लेना चाहिए।। उन्हें सुंदर-सुंदर आभूषणों से विभूषित करना चाहिए। गोवर्धन पूजा के समय इस प्रकार से प्रार्थना करनी चाहिए-
गोवर्धनधराधार गोकुल त्राण कारक।
विष्णुबाहुकृतोच्छाय गवां कोटि प्रदो भव।।
या लक्ष्मी लोकपालाना धेनु रूपैण
संस्थिता।
धृतं बहति यज्ञार्थे मम पापं व्योपहतु।।
अग्रत: संतु में गावो,गावो में सन्तुपृष्ठता।
गावो में हृदयेश सन्तुगवां मध्य वसाम्यहमं।।
अर्थात् पृथ्वी को धारण करने वाले गोवर्धन आप गोकुल की रक्षा करने वाले हैं। भगवान विष्णु ने अपनी भुजाओं में आपको ऊंचा उठाया था। आप मुझे कोटि गौदान देने वाले हो। गौ पालकों की जो लक्ष्मी है यहां धेनू रूप मे विराज रही है। और यज्ञ के लिए घृत का भार बहन करती है वह मेरे पापों को दूर करें। गाय मेरे आगे हो गाय मेरे पीछे हो गाय मेरे हृदय में और मैं सदा में गौंओ के मध्य में निवास करूं।
इस प्रकार गोवर्धन पूजा करके उत्तम भाव से देवताओं पुरुखो तथा साधारण मनुष्य को संतुष्ट करें ।
अर्थात घर के बड़े लोगों को प्रसन्न रखकर विद्वानों को संकल्प पूर्वक
वस्त्र तांबूल के द्वारा प्रसन्न करें।
कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा वैष्णवी कहीं गई है। जो लोग सब प्रकार से सब आनंद देने वाले दीपोत्सव तथा
बलिराज का पूजन करते हैं उसे वह सुख समृद्धि से संपन्न प्राप्त करते हैं।
प्रतिपदा को वर्ष भर आनंद से व्यतीत होता है प्रतिपदा और अमावस्या के दिन । प्रतिता के दिन वर्ष भर की क्रिया होती है।
आनंद से व्यतीत होता है।
प्रतिपदा के दिन वर्ष भर आनंद देने वाली दीपोत्सवकर पूजन करें। गौवो को भोजन आदि से भलीभांति पूजन करके अलंकारों से विभूषित करें और गाने बजाने आदि का कार्यक्रम करें। इस दिन श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाया था। सारेू ब्रज वासियों से गोवर्धन पर्वत की पूजा करवाई थी। स्तन के राज्य को 56 प्रकार के भोग लगाकर आरती करते प्रार्थना करते हैं कि हमारा पूरा वर्ष मंगलमय रहे घर के सभी लोग सुखी एवं प्रसन्न रहें।सारा सच यही है कि हमारी परंपराओं के अनुसार हमें अपने नियमों को नहीं भूलना चाहिए और और इन परंपराओं को हमेशा चलाते रहना चाहिए।
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पदमा तिवारी दमोह मध्य प्रदेश
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