Saturday, 11 March 2023

दिवाली - अनन्तराम चौबे अनन्त

 
























राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
दिनांक ...25/10/2022
विषय.... दिवाली
नाम.. अनन्तराम चौबे अनन्त जबलपुर म प्र
कविता...    

          दिवाली 

चौदह वर्ष के वनवास के बाद
भगवान राम वापिस आए थे।
अयोध्या वासियों ने घर-घर में 
खुशियों से स्वागत दीप जलाए थे ।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस  
की वो काली रात अंधेरी भी थी ।
जगमग दीपों की रोशनी से पूरी
अयोध्या नगरी जगमगा ई थी ।

दीपों का पर्व दिवाली मनाएं 
सब मिल करके खुशी मनाएं ।
घर द्वारे आंगन को सजाएं ।
आंगन में अच्छी रंगोली बनाएं  ।

वंदन वारा द्वार लगाएं ।
पूजा घर को खूब सजाएं ।
लक्ष्मी जी की पूजा करके
मां लक्ष्मी से आशीर्वाद पाएं ।

सुख समृद्धि की करें कामना ।
घर द्वारे में घी के दीप जलाएं।
मां लक्ष्मी को शीश नवाएं ।
सारा सच है खुशी मनाएं।

दीपावली है दीप जलाएं ।
मिल जुल करके मीठा खाएं ।
दिवाली आई खुशियां मनाएं ।
बस दीप जलाएं दीप जलाएं ।

सारा सच पटाखों से परहेज़ करें 
बच्चों के साथ फुलझड़ी जलाएं।
धन लक्ष्मी की सब बचत करें
प्रदूषण को भी होने से बचाएं।

देशी मिट्टी के दीए खरीदकर
मिट्टी के ही सब दीए जलाएं ।           
घर को जगमग रोशन करके
दीपावली की खुशियां मनाएं ।

पास पड़ोस में मिठाईयां बांटें
दीपों का पर्व दिवाली मनाएं।
भाई चारा को बनाकर रखना
हिल मिल करके दीप जलाएं ।

सारा सच है दीप जलायेगे
दिवाली की खुशियां मनायेंगे।
बच्चों के साथ में खुश रहकर
बस मिट्टी के ही दीप जलाएंगे ।

पांच दिन दीवाली मनाते 
धनतेरस से शुरू होती है ।
छोटी दीवाली बड़ी दीपावली
गोवर्धन पूजा भाईदोज होती है।

अंधकार को दूर भगाकर
दीपों से प्रकाश रोशन होता है।
दीपावली का पर्व सभी को
खुशियों से जगमग कर देता है।

 अनन्तराम चौबे अनन्त
  जबलपुर म प्र

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